पराधीन व्यक्ति और समाज में धार्मिकता, नैतिकता और देशभक्ति नहीं पायी जाती

जो देश की सेवा करने की शपथ लेते हैं, देश पर मर-मिटने की शपथ लेते हैं, जनता की सुरक्षा की शपथ लेते हैं, उनमें भी देशभक्ति नहीं पायी जाती।
जो नियमित पूजा, पाठ, रोज़ा-नमाज, व्रत-उपवास, ध्यान, जाप, कीर्तन-भजन करते हैं, उनमें भी देशभक्ति नहीं पायी जाती।
जानते हैं क्यों ?
क्योंकि वेतनभोगी, पेंशनभोगी, कमीशनखोर, रिश्वतखोर, वैश्य, शूद्र, भिक्षा व अनुदान पर आश्रित और पराधीन व्यक्ति और पराधीन समाज में धार्मिकता, नैतिकता और देशभक्ति नहीं पायी जाती।
उपरोक्त सभी विवश हैं माफियाओं और देश को लूटने और लुटवाने वालों की कृपा और दया पर आश्रित रहने के लिए। और जो माफियाओं और देश के लुटेरों की कृपा और दया पर आश्रित नौकर और गुलाम होगा, उसके लिए सिंहासन (सत्ता, पार्टी, नेता) ही देश होता है। और उसकी स्थिति मवेशियों, शूद्रों जैसी होती है, या फिर महान पराक्रमी भीष्म, कर्ण, द्रोण जैसी होती है।
उनके सामने किसी स्त्री को निर्वस्त्र किया जाये, या पूरे विश्व की जनता को फर्जी महामारी से आतंकित कर बंधक बनाकर लूटा-खसोटा जाये, सामूहिक बलात्कार किया जाये, वे विरोध नहीं कर सकते। वे कौरवों की सभा में मूक दर्शक बने द्रौपदी चीर हरण देखने वाले नपुंसकों से अधिक और कुछ नहीं रह जाते, भले दुनिया उन्हें धर्मराज, त्रिलोक विजयी, महान पराक्रमी योद्धा मानती हो।
मेरा विश्वास न हो तो देश के सर्वाधिक प्रतिभावान, शिक्षित, यूपीएससी टॉपर्स, आईएएस, आईपीएस, आईएफएस, आईआरएस और सीबीआई, ईडी, सीआईडी पर दृष्टिपात करिए। आपको ये सभी कौरवों की सभा में द्रौपदी चीर हरण का आनंद लेते कायर और नपुंसक ही नजर आएंगे।
जब तक पार्टीवाद, जातिवाद, अंबेडकरवाद, मोदीवाद में उलझा हुआ है समाज, तब तक घर-घर तिरंगा लहराओ, या हर वृक्ष पर तिरंगा फहराओ देशभक्ति जागृत नहीं होने वाली।
फिर आधुनिक शिक्षा पद्धति से शिक्षित युवाओं, बच्चों को पता ही नहीं कि देशभक्ति होती क्या है। इनके लिए सरकार, पार्टी और नेताभक्ति ही देशभक्ति होती, इससे अधिक कभी समझ ही नहीं पाये। क्योंकि पढ़ाने वाले, इनके स्कूलों की किताबें लिखने वाले स्वयं नहीं जानते कि देशभक्ति है किस चिड़िया का नाम ?
अरे जो स्वयं शूद्र अर्थात वेतन-पेंशन भोगी हैं, वे भला कैसे समझा पाएंगे देशभक्ति क्या होती है ?
जो स्वयं देश व जनता को लूटने और लुटवाने वालों की चाकरी कर रहे हों, उनकी कृपा और अनुदान पर आश्रित हों, जिनके बच्चे पैदा होते ही, विदेश भागने या सरकारी नौकरी पाने के लिए ललायित रहते हों, वे भला कैसे किसी को समझा पाएंगे देशभक्ति होती क्या है ?
यदि देशभक्ति समझनी है, तो नेता, अभिनेता, पार्टीभक्ति और सरकारों की भक्ति से मुक्त होना होगा। ऐसे सभी विषयों से ध्यान हटाना होगा, जिससे किसी नेता, अभिनेता, पार्टी का तो भला होता हो, लेकिन देश व जनता का कोई भला न होता हो।
सोशल मीडिया पर जो पोस्ट आप शेयर करते हैं, उन्हें देखिये। क्या उन पोस्ट से समाज को कोई लाभ होता है ? क्या समाज में जागृति आ सकती है ? या केवल किसी नेता, पार्टी या सरकार को ही लाभ हो रहा है ? या समाज की मूल समस्याओं से ध्यान भटकाने के लिए ऐसे पोस्ट शेयर किए जा रहे हैं ?
यदि इन सभी प्रश्नों के उत्तर जाने बिना आप पोस्ट शेयर कर रहे हैं, तो निश्चित मानिए आप देशभक्त नहीं हैं, भले आपके पास दुनिया भर की डिग्रियाँ हों और आप बड़े-बड़े सरकारी पदों पर आसीन हों।
~ विशुद्ध चैतन्य
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