पूंजीवादी गुलामी नर्किय व्यवस्था से खुद को स्वतंत्र कैसे करें?

ये पिशाची पूंजीवादी सरकारें Narcissists आपको इस धरती पर गुलाम बना, नर्क का रास्ता दिखा देती हैं न कि स्वर्ग का?
आप जिंदगी भर उनकी नौकरियां कर, उनके लिए व्यवसाय कर, उनके प्रोडक्ट को बेच और उनके ही प्रोडक्ट को खरीद, और उनके ही प्रोडक्ट यूज कर, आप जीवन भर उनके कोल्हू के बैल की तरह, पूरी तरह गुलाम बन जाते हैं। ऐसे लोगों की समाज में जीना बहुत ही खतरनाक है।
ऐसे लोग सिर्फ अपने लिए स्वार्थवश जीते हैं और पूरी जीवन झूठ का सहारा लेकर के, दिखावे में कल्याण की बात करेंगे। पर सही मायने में ऐसे लोग पूरी मानवता के दुख, दर्द, पीड़ा से उनका कोई लेना-देना नहीं।
आपके जीवन में ऐसा हो जाता है कि आप इन पूंजीवादी सरकारी व्यवस्था के, पूरे जीवन भर आपकी जरूरत बन जाती है। जब आप पूंजीवादी सरकारी व्यवस्था की नौकरी कर जीते हैं, तो आप नाम, पैसा, शोहरत, घर, मकान, और पूरी दौलत हर कुछ आधुनिकता, भौतिकता भरी जिंदगी मिलती है, पर आपके जिंदगी की सुख-चैन, शांति और आनंद पूरी तरह कहीं खो जाते हैं। पर फिर भी आप जीवन भर, उनके सिर्फ स्लेव ही रहेंगे न कि मालिक या स्वतंत्र जीते हैं?
पर प्राकृतिक स्वतंत्र जीवन शैली में आप 100% आप अपनी जमीन के मालिक होते हो, और प्रकृति व्यवस्था में आप पूरी तरह आत्मनिर्भर और स्वतंत्र होते हो, आप अनाज के मालिक होते हो, आप जब चाहे जहां जा सकते हो, कर सकते हो, बोल सकते हो, सो सकते हो, बहुत उच्च विचार रख सकते हो और आप समझ में हो रहे गलत से गलत विचारों पर अपने मंतव्य दिल से खुलकर मुखर हो सकते हो, क्योंकि आप स्वतंत्र हो।
पूंजीवादी सरकारी कंपनियों में तो आप पूरी तरह गुलाम हो,
🛑चाहे आप मैनेजर की नौकरी,
🛑चाहे CEO की नौकरी कर रहे हो,
🛑चाहे उस कंपनी के बॉस की नौकरी कर रहे हो,
🛑चाहे डीएम की नौकरी कर रहे हो,
🛑चाहे डीएसपी की नौकरी कर रहे हो,
🛑चाहे एसपी के नौकरी कर रहे हो,
🛑चाहे किसी पोस्ट के ऑफिसर की नौकरी कर रहे हो,
ले देकर आप उस पूंजीवादी सरकारी व्यवस्था के, शुद्र गुलाम कोल्हू के बैल के बैल ही रहोगे। उससे ऊपर तबके की आप उनके लिए हो ही नहीं सकते, क्योंकि आपको वे होने ही नहीं देंगे। वे जब चाहेंगे तब आप की टांग खींच कर क्षितरा देंगे। और आप मुंह से डकार भी नहीं निकाल सकते, मुखर भी नहीं हो सकते।
चाहे आप में कितनी भी अच्छी क्वालिटी क्यों न हो आपके अंदर, वे आपको ऊपर उठने ही नहीं देंगे, आपकी अच्छे से अच्छे मानसिकता को हो, आपके उच्च विचार हैं पर आप समाज में अपनी उच्च विचारों को समाज में पारदर्शित नहीं कर सकते क्योंकि गुलामी के नौकरी का पट्टा जो मुंह में लगा है।
उन पूंजीवादी सरकारी व्यवस्थाओं को सिर्फ खून चूसने में मजा आता है। आपकी दर्द, पीड़ा, हीनमान्यता, कष्ट, गरीबी, भुखमरी, डर, भय, हजार तरह की बीमारियां इसे विकसित करने में ही उन्हें मजा आता है। क्योंकि वही उनका खाना है उससे उनकी ताकत बढ़ती है।
क्योंकि आपके सारे कष्ट का इलाज यह सारी पूंजीवादी सरकारी व्यवस्था फार्मा माफिया के द्वारा करवाना चाहती है।
इसीलिए आपको हजार तरह के पूंजीवादी सरकारी नौकरियां दे देकर गुलाम बनाकर, भीख के आधार पर, अपने ही पूंजीवादी सरकारी व्यवस्था के बने मॉल्स के प्रोडक्ट को ही आप तक पहुंचाना चाहती है, जिससे आप जीवन भर उनके प्रोडक्ट को खरीदते रहे।
पूंजीवादी सरकारें चाहती आप कभी भी स्वतंत्र आत्मनिर्भर न हो सके, क्योंकि अगर आप स्वतंत्र आत्मनिर्भर हो गए, अपने खेत के कुटीर उद्योग के प्रोडक्ट को विकसित कर, मालिक बन गए तो फिर पूंजीवादी सरकारी व्यवस्था के मॉल्स के प्रोडक्ट कौन खरीदेगा, वे भिखमंगे न हो जाएंगे?
इसीलिए पूंजीवादी सरकारी व्यवस्था आपको नौकरी दे दे कर पूरी तरह गुलाम बना कर, भीख मंगा बना देना चाहती है!
यह पूंजीवादी सरकारी व्यवस्था अपने फायदे के लिए कभी कंप्रोमाइज नहीं करते हैं। यह आपके परिवार और समाज समाज को ही आप से अलग कर आइसोलेट कर देंगे, ताकि उन पूंजीवादी सरकारी व्यवस्था के बेनिफिट्स में कोई कमी न आए।
ऐसे धूर्त मानसिकता के लोग काफी ऊंची ऊंची पोस्ट पर होते हैं, और पूरी मानवता पर कंट्रोल करते हैं, उन पर नजर रखते है हिटलर की तरह।
🟢 ऐसी पूंजीवादी सरकारी व्यवस्था को डील करने के लिए, खुद को पूरी तरह या जितना हो सके, इनकी गुलामी कि नर्किय व्यवस्था से दूरी बनाए। अपनी प्राकृतिक स्वास्थ्य दायक, कृषि स्वतंत्र व्यवस्था अपनाएं। ऐसे लोगों द्वारा खुद को अपनी इमोशंस से खेलने का मौका न दें।
आपका जन्म इस धरती पर इनकी गुलामी करने के लिए नहीं हुई है, न ही वेतन भोगी बन, जीवन भर कोल्हू का बैल बनने के लिए हुई है?
अगर आप ऐसे लोगों से दूरी नहीं बना सकते तो कम से कम शारीरिक और मानसिक रूप से दुरी बना लेनी चाहिए। जिससे उनके नकारात्मकता आप तक पहुंचना सके।
और इसके लिए सबसे बेहतर उपाय है, अराजनैतिक व्यवस्था बनाने हेतु आप जमीनी स्तर से जुड़े। इन भेड़ों के समाज से दूरी बना ले। गांव से बहुत दूर शांत जगह पर जमीन लेकर अपनी कुटीर उद्योग के आधार पर, अपनी आत्मनिर्भर स्वतंत्र और स्वरोजगार व्यवस्था बनाएं, अपनी स्वदेशी बीज बैंक बनाएं।
अगर आपके पास जमीन नहीं है तो जमीन लीज पर ले ले, और आप जितनी थाली में जो भी चीज खाते हैं फल, सब्जी, अचार, चटनी, साबुन, सब कुछ खुद से बनाएं और उगाए।
और सभी बाजारीकरण व्यवस्था से खरीदे गई जहरीली चीजों को, अवॉइड करें और पूरी तरह प्रकृति के साथ घुल मिल जाने वाले प्रोडक्ट का इस्तेमाल करें।
जिससे आप अराजनीतिक और बिना पूंजीवादी सरकारी व्यवस्था के आधार पर, खुद को पूरी तरह स्वतंत्र और आत्मनिर्भर बनाएं। और अपने जीवन को पूंजीवादी सरकारी व्यवस्था के प्रोडक्ट से मिनिमाइज करें।
और अपने आसपास के लोगों को भी ऐसे ही शिक्षित करें, तभी आप एक आप देश के नैतिक, धार्मिक और क्रांतिकारी व्यक्ति हैं। नहीं तो आप पूंजीवादी सरकारी व्यवस्था के गुलाम और दलाल है, सहयोगी हैं।
सरिता प्रकाश 🙏✍️🌱💧🐛🦋🐞🐝🪲🐧🦆🦃🦚🦩🦢🦤🕊️🦜🦅🐸