मनुष्यों से श्रेष्ठ पशु-पक्षी क्यों हैं ?

मनुष्यों से श्रेष्ठ हैं पशु-पक्षी, क्योंकि मनुष्य परस्पर उपयोगी प्राणी है। जबकि पशु-पक्षी परस्पर सहयोगी प्राणी होते हैं।
पशु-पक्षियों, वस्तुओं समेत मानवों का उपयोग करता है मानव व्यक्तिगत स्वार्थों के लिए। धार्मिक, आध्यात्मिक व सरकारी शिक्षा पद्धति का आधार ही है मानवों को माफियाओं और देश के लुटेरों के लिए उपयोगी बनाना।
और यही कारण है कि जो उपयोगी न हो, जिसे उपयोग में लाया ना जा सके, उसे समाज और सरकारें भुला देती हैं। लेकिन जिन्हें मवेशियों और पालतू पशुओं और गुलामों की तरह उपयोग में लाया जा सकता है, उन्हें बड़ा सम्मान मिलता है, उन्हें अच्छी स्लेवरी और पेंशन मिलती है।
सहयोगिता का भाव यदि कहीं देखने मिलता है मानव समाज में, तो माफियाओं, तस्करों और लुटेरों के गिरोहों में देखने मिलता है। वहाँ लोग चाहे कितने ही बुरे क्यों न हों, परस्पर सहयोग के लिए हमेशा तत्पर रहते हैं। यही कारण है कि डेढ़ अरब जनसंख्या वाले देश के नागरिकों को कुछ मुट्ठीभर माफिया और उनकी गुलाम सरकारें, सीबीआई, ईडी, पुलिस पालतू मवेशी बनाकर रखते हैं।
भले ही कितने पढे-लिखे क्यों न हों, भले कितनी महंगी-महंगी डिग्रियाँ ही क्यों न बटोर रखी हों, अधर्म, अन्याय और अत्याचार का विरोध नहीं कर पाते। देश तो छोड़िए, अपने गांवों, आश्रमों की भूमि की ही सुरक्षा नहीं कर पाते माफियाओं से।
यह सब देखकर क्या आपको भी नहीं लगता कि मनुष्यों से श्रेष्ठ हैं पशु-पक्षी ?
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