सशस्त्र शक्तियों की उपासना का मूल उद्देश्य क्या है ?
दुर्गापूजा की तैयारी बड़े जोरों-शोरों से चल रही है। भक्तगण बड़े उत्साह से पंडाल सजाने में व्यस्त हैं। प्रतिमाओं का ऑर्डर महीने भर पहले ही दे दिया जाता है और जिन्होंने नहीं दिया है, वे प्रतिमा बनाने वालों के यहाँ मोलभाव में व्यस्त हैं।
हर्ष और उल्लाह का वातावरण है चारों-ओर। धनी लोगों के लिए सुनहरा अवसर है अपने ऐश्वर्य के प्रदर्शन करने का। वैश्यों और शूद्रों के लिए सुनहरा अवसर है कमाने का। (ब्राह्मण और क्षत्रिय अब लगभग लुप्त हो चुके हैं, इसलिए उनके विषय में कुछ नहीं कह सकता)
गरीब और भूखे लोग इसलिए खुश हो रहे होते हैं कि भंडारे में स्वादिष्ट पकवान खाने मिलेगा। गरीब परिवार का बच्चा कल्पना में डूब जाता है कि नए कपड़े मिलेंगे, स्वादिष्ट भोजन मिलेगा।
क्या आप जानते हैं कि सशस्त्र शक्तियों की उपासना का मूल उद्देश्य क्या होता है ?
अधिकांश नहीं जानते होंगे, क्योंकि अधिकांश शास्त्रों के प्रकांड विद्वान हैं या फिर पंडितों-पुरोहितों द्वारा सुनाई कथाओं के आधार पर मानते हैं कि पूजने से शुभ होता है, मंगल होता है, मनोकामना पूर्ण होता है, व्यापार में लाभ होता है, अच्छी नौकरी मिलती है, अच्छे घर में विवाह होता है….या स्वर्गलोक में अदानी, अंबानी जैसे धन्नासेठों के बगल वाला प्लाट मिलता है।
लेकिन सत्य यह है कि सशस्त्र शक्तियों की उपासना का मूल उद्देश्य होता है, उनके गुणों को आत्मसात करना। जैसे दुर्गा और काली ने अत्याचारियों, अधर्मियों का संहार किया, वैसे ही अपने भीतर और समाज में छिपे दुष्ट प्रवृतियों और अधर्मियों का संहार करना।
सदैव स्मरण रखें: पूजा-पाठ, व्रत-उपवास, कर्मकाण्ड, यम-नियम का पालन करने वाला धार्मिक ही होगा यह आवश्यक नहीं है। जो पूजा पाठ नहीं करता, वह भी धार्मिक हो सकता है। इसलिए नास्तिक या अन्य सम्प्रदाय को अधार्मिक मत समझ लीजिएगा।
प्राचीन काल में जिन्हें हम अधर्मी, दैत्य, दानव या राक्षस कहा करते थे, आधुनिक युग में वे माफिया, भ्रष्टाचारी, बिकाऊ नेता और देश के लुटेरों के रूप में आतंक मचाते मिलते हैं।
और यदि दुर्गा, काली के उपासक भी माफियाओं और देश के लुटेरों का विरोध करने की बजाय, उनकी चाकरी और गुलामी कर रहे हैं, तो फिर पूजा निष्फल जाएगी। क्योंकि जो देवी अधर्मियों की संहारक है, उसके अनुयायी अधर्मियों का विरोध करने की बजाय, उनकी पूजा का ढोंग करेंगे, तो क्या एक माँ को समझ में नहीं आएगा कि उनकी संताने पूजा का ढोंग कर रहे हैं ?