मेरा नाम करेगा रोशन जग में मेरा राजदुलारा

“तुझे सूरज कहूँ या चन्दा, तुझे दीप कहूँ या तारा, मेरा नाम करेगा रोशन, जग में मेरा राज दुलारा”
यह गीत सुना ही होगा आप सभी ने ?
बहुत ही प्यारा गीत है और एक अपने पुत्र को लेकर जो एक पिता की अपेक्षाएँ रहती हैं, वह व्यक्त किया गया है इस गीत में।
लेकिन प्रश्न यह उठता है कि क्या संतान मवेशियों की तरह मालिक के लिए एक उपयोगी प्राणी होता है, या सहयोगी प्राणी होता है ?
मवेशियों की अपनी कोई महत्वाकांक्षा नहीं होती है सिवाय इसके कि उसे भरपूर चारा मिले, पानी मिले, प्रेम मिले और सुरक्षित जीवन मिले। उसे और कुछ नहीं चाहिए होता। मवेशियों का अपना कोई सपना नहीं होता, कोई उद्देश्य या लक्ष्य नहीं होता।
मवेशी एक उपयोगी प्राणी है, जिसका उपयोग किया जाता है और जब वह उपयोग में आने योग्य नहीं रह जाता, तब उसे बेच दिया जाता है कसाई पास या फिर लावारिस छोड़ दिया जाता है सड़कों पर अपनी मौत मरने के लिए। क्या संताने में भी ऐसी ही उपयोगी प्राणी होते हैं ?
सपने आपके अपने थे, आपने देखे थे। आपसे पूरे नहीं हुए, तो वह आपका अपना दोष या भाग्य है। अपने सपने दूसरों के कंधों पर क्यों लाद देते हैं लोग ?
और यदि वे सपने पूरे हो भी जाते हैं, तो कौन सा महान कार्य हो जाता है ?
Support Vishuddha Chintan
