अब स्त्री-पुरुष एक दूसरे के पूरक नहीं, प्रतिद्वंदी बन चुके हैं

“मेरे सपनों की रानी कब आएगी तू…. “
“अगर तुम मिल जाओ, जमाना छोड़ देंगे हम…”
“तुम जो मिल गए हो, ऐसा लगता है कि जहाँ मिल गया…”
किशोरावस्था में ऐसे गीत बहुत पसंद आते थे। ऐसा लगता था मानो हमारे लिए ही लिखा गया हो, हमारी ही भावनाओं को व्यक्त किया जा रहा हो गीतों के माध्यम से।
लेकिन मार्क्स, नाम, पैसा कमाने की होड़ और नौकरी, व्यापार में कैद जवानी कब बीत जाती है पता ही नहीं चलता। इन दौड़ों के बीच जब समय मिलता है, तब फिर ऐसा लगता है कि कोई तो हो, जिसे कह सकें:
“तुम बिन जिया जाए कैसे,
कैसे जिया जाए तुम बिन
सदियों से लंबी हैं रातें
सदियों से लंबे हुए दिन”
लेकिन अधिकांश विवाहित दंपत्ति और प्रौढ़ावस्था में पहुँच चुके लोगों के लिए इन सब गीतों के कोई मायने नहीं रह जाते। क्योंकि अब उनके जीवन में स्मार्टफोन आ चुके हैं। अब उनके पास एक दूसरे के लिए समय नहीं है, क्योंकि व्हाट्सएप और सोशल मीडिया के फॉलोवर्स इतने हैं कि जीवनसाथी के लिए समय नहीं है।
और फिर एक ही व्यक्ति को रोज़ देख-देख कर इंसान बोर हो ही जाता है। कुछ नया चाहिए होता है और वह मिलता है स्मार्टफोन में।
तो अब विवाह करने का कोई औचित्य नहीं। क्योंकि अब गाने का समय आ गया है:
“तुम्हें ज़िंदगी के उजाले मुबारक
अंधेरे हमें अब रास आने लगे हैं।”
ऊपर से नए-नए कानून जो बेडरूम तक घुस चुके हैं, विवाह को और भयावह बना दिये। ना जाने कितने पुरुष आज दहेज उत्पीड़न से लेकर बलात्कार तक के झूठे केसों में जेलों में पड़े हैं और ना जाने कितने कोर्ट कचहरी के चक्कर काट रहे हैं।
विवाह अब कोई सुखद एहसास नहीं रहा, बल्कि एक बोझ बन चुका है। फिर स्त्री और पुरुष किसी जमाने में एक दूसरे के पूरक हुआ करते थे। एक की कमी दूसरा पूय कर दिया करता था। लेकिन आधुनिक युग में दोनों ही बराबर के हो चुके हैं। अब स्त्री-पुरुष एक दूसरे के पूरक नहीं, प्रतिद्वंदी बन चुके हैं। अब दोनों को एक दूसरे की आवश्यकता नहीं रह गयी।
अब खाना बनाने खिलाने के लिए जोमैटो, स्वीगी और ना जाने कितने ढाबे और रेस्टोरेन्ट खुल चुके हैं। कपड़े धोने के लिए वॉशिंग मशीन है, सफाई करने के लिए रोबॉट्स हैं….यानि अब हर सुख-सुविधायें बाजार में उपलब्ध हैं। रही प्रेम और रिश्ते की बात, तो वह सब भी खरीदा जा सकता है जेब में पैसा हो तो। क्योंकि हर चीज बिकाऊ है आधुनिक युग में।
क्या यही दिन देखने के लिए आधुनिक हुए थे हम ?
~ विशुद्ध चैतन्य ✍️
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