मानव ही एकमात्र पढ़ा-लिखा प्राणी है जिसके लिए ईश्वर/अल्लाह ने किताबें लिखीं

समस्त पृथ्वी में मानव ही एकमात्र ऐसा पढ़ा-लिखा प्राणी है, जिसे सही और गलत का अंतर समझने के लिए ईश्वर/अल्लाह/गुरुओं द्वारा लिखी गयी आसमानी, हवाई, धार्मिक ग्रंथो की आवश्यकता पड़ती है। बाकी दुनिया के किसी भी प्राणी को सही और गलत का अंतर समझने के लिए किसी भी किताब की आवश्यकता नहीं पड़ती।
मानव ही एकमात्र ऐसा प्राणी है जिसके लिए स्थान, प्रान्त, देश और संप्रदाय के अनुसार नैतिक और अनैतिक की परिभाषाएँ बदल जाती हैं। कहीं पर शराब पीना हराम है, पाप है, अपराध है, तो कहीं पर हलाल है, पुण्य है, सामाजिक शिष्टाचार है।
कहीं पर वेश्यावृति अपराध है, तो कहीं पर लीगल प्रोफेशन है।
मानवों के समाज में ही ऐसा होता है की 21 साल से कम आयु की लड़की विवाह योग्य नहीं मानी जाती, लेकिन 16 साल की लड़की अपनी मर्जी से सेक्स करने और लिविंग इन रिलेशन में रहने के लिए स्वतंत्र है।
मानवों के समाज में ही यह सुविधा है कि दुनिया भर के पाप, अपराध, बलात्कार, घोटाले करने के बाद किसी पार्टी या सरकार के पक्ष में खड़े हो जाओ, तो सारे पाप धूल जाते हैं।
जानते हैं ऐसा क्यों है ?
क्योंकि मनुष्य ही दुनिया में एकमात्र पढ़ा लिखा प्राणी है और मनुष्य ही एकमात्र ऐसा प्राणी है जिसके लिए ईश्वर/अल्लाह ने किताबें लिखीं ताकि धर्म और अधर्म का अंतर समझ पाएँ, ताकि सही और गलत का अंतर समझ पाएँ।
~ विशुद्ध चैतन्य
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