अपनी वाइब्रेशन को पहचानिए

वाइब्रेशन अर्थात तरंगे ही हैं, जो प्राणियों को प्राणियों से जोड़ती हैं। जो जिस प्रकार का वाइब्रेशन जनरेट करता है, वैसे ही लोगों को आकर्षित करता है।
यदि आप भयभीत रहते हैं, या कायर प्रवृति के हैं, तो सांप्रदायिक, जातिवादी, धर्मांध लोगों को आकर्षित करेंगे या उनकी ओर आकर्षित होंगे।
उनके गिरोह में चर्चाएं चल रही होंगी कि फलाने सम्प्रदाय के लोग हमारा नामोनिशान मिटा देंगे, पाकिस्तान भारत पर हमला करके भारत को अपना गुलाम बना लेगा। भारत हमला करके पाकिस्तान को गुलाम बना लेगा। फलानी जाति के लोग हमारी जाति के लोगों की संपत्ति, स्त्री, भूमि छीन लेंगे और हमें अपना गुलाम बना लेंगे।
और भयभीत और कायर व्यक्ति इनकी बातें सुनकर थर-थर कांपने लगेगा, दूसरे पंथ, सम्प्रदाय या जाति से भयभीत होकर घृणा करने लगेगा।
और यदि व्यक्ति नेताओं, अभिनेताओं, बाबाओं के वाइब्रेशन से प्रभावित है, तो उनके सामने नतमस्तक रहेगा। फिर भले वे दलबदलु, बिकाऊ, ही क्यों ना हों। फिर चाहे देश के लुटेरों और माफियों के भक्त या गुलाम ही क्यों ना हों।
तो जिसकी जैसी वाइब्रेशन होगी, वैसे ही लोगों से जुड़ेगा, उन्हें ही पढ़ेगा और उनकी ही मानेगा।
इसीलिए यदि कम लोग आपको पढ़ते या सुनते हैं, कम लोगों से आपकी मित्रता होती है, तो अपनी वाइब्रेशन को बदलिए।
यदि लाइक्स और कमेंट्स अधिक चाहिए, तो देश के लुटेरों और माफियाओं के विरुद्ध मत लिखिए। क्योंकि अधिकांश जनसंख्या माफियाओं के नौकर, चाकर हैं, या फिर गुलाम। उनकी वाइब्रेशन आपके साथ मैच नहीं करेगी।
आपकी वाइब्रेशन उनके साथ मैच नहीं करेगी यदि आप स्वयं देश के लुटेरों और माफियों के भक्त, नौकर या गुलाम नहीं है। यदि आपका परिवार माफियाओं की कृपा और दया पर नहीं पल रहा।
मैने अब आशा ही छोड़ दी है कि विश्व की जनता अब कभी लुटेरों और माफियाओं की कैद से बाहर निकल पाएगी। इसीलिए अब आशा भी नहीं करता कि लोग मुझे पढ़ेंगे, समझेंगे और मेरे सहयोगी बनेंगे।
समय के साथ अधिक से अधिक लोग जुड़ते जाते हैं, लेकिन मेरे साथ उल्टा होता रहा है। क्योंकि देश के लुटेरों और माफियाओं के विरुद्ध लिखना अधिकांश को रास नहीं आ रहा।
जब धर्म और जातियों के नाम पर चल रहे ढोंग, पाखंड और दोगलेपन के विरुद्ध लिखता हूं, तो उनकी भावनाएं आहत हो जाती हैं।
जब दोगली सरकारों, समाजों के विरुद्ध लिखता हूं तब उनकी भावनाएं आहत हो जाती हैं।
इसीलिए उनसे मेरी वाइब्रेशन और मेरी वाइब्रेशन उनसे मैच नहीं करती।
मेरी समस्या यह है कि उन्हें खुश करने के लिए मैं नहीं बदल सकता। और उनकी समस्या यह है कि वे बदले तो भूखों मरने की नौबत आ जाएगी, सपरिवार सड़क पर आ जायेंगे।
और मैं नहीं चाहता कि मेरे कारण कोई किसी संकट में पड़ जाए। इसीलिए अपने लिए एकान्त चुना है। और अकेले ही अब जीना है बचा हुआ जीवन। क्योंकि मेरी वाइब से मैच करने वाले लोग दुर्लभ हो गए।
जो कभी मेरे प्रशंसक थे, मेरे शुभचिंतक थे उन्होंने भी देश के लुटेरों और माफियाओं की भक्ति और गुलामी स्वीकार ली।
यदि मेरी तरह गुमनाम जीवन नहीं चाहते, तो अपनी वाइब्रेशन बदलिए और देश के लुटेरों और माफियाओं के गुलामों की वाइब्रेशन के साथ हार्मनी बनाइए।
~ विशुद्ध चैतन्य
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