यहाँ सही या गलत जैसा कुछ नहीं होता

भिन्न-भिन्न दृष्टिकोण, सिद्धांत और मान्यताओं से भरा हुआ है विश्व। और यहाँ कोई भी सही या गलत नहीं है। जो सिद्धान्त या मान्यता किसी एक के लिए गलत है, तो वही किसी दूसरे के लिए सही हो जाता है।
समाज भी ताकतवर के पक्ष में खड़ा होता है, नैतिक, अनैतिक, धार्मिक, अधार्मिक से कोई संबंध होता ही नहीं समाज का।
उदाहरण के लिए किताब में लिखा है कि झूठ बोलना पाप है। लेकिन वास्तविकता यह है कि इंसान यदि सच ही बोलने लग जाये, तो घर टूट जाएगा, रिश्ते बिखर जाएंगे, अदालतें बर्बाद हो जाएंगी, वकील और जज बेरोजगार हो जाएंगे, सरकारें गिर जाएंगी, नेताओं और डॉक्टर्स को जूते पड़ने लगेंगे, आईएएस, आईपीएस, सिविल सर्विसेस सेवाएँ ठप्प हो जाएंगी। क्योंकि सभी का अस्तित्व झूठ पर टिका है।
यही कारण है कि ऐसे लोग जो जागृत हो चुके हैं, सत्य को जान चुके हैं, उन्हें ना तो समाज सहन करता है, ना सरकारें, ना ही सोशल मीडिया के फेक्ट चेकर्स सहन करते हैं। लेकिन जो किस्से कहानियाँ और चुटुकुले सुनाते हैं, जो कथा बाँचते फिरते हैं, जो भजन-कीर्तन, नामजाप करते फिरते हैं, उनका हर जगह सम्मान होता है। क्योंकि वे समाज को जागरूक करने की बजाए मन बहलाने के लिए समाज का मनोरंजन करते हैं।
कोई समाज कितना ही धार्मिक और नैतिक होने का ढोंग करे, उसे माफियाओं और देश के लुटेरों के सामने नतमस्त्क होना ही पड़ेगा। अन्यथा उस समाज का आस्तित्व ही मिट जाएगा। इसीलिए चैतन्य लोग समाज से दूरी बना लेते हैं और एकांत खोजते हैं।
कई बार हम देखते हैं कि कुछ अपराधियों, भ्रष्टाचारियों को सजा मिल जाती है, लेकिन यह केवल दिखावा होता है। छोटे-मोटे या सरकार और माफियाओं के लिए बेकार हो चुके अपराधियों, भ्रष्टाचारियों को ही सजा मिलती है, बाकी सभी ऐश कर रहे होते हैं। और यही नैतिकता और धार्मिकता का ढ़ोल पीटने वाला समाज बड़े अपराधियों और भ्रष्टाचारियों की जय-जय करते नाचते दिखाई देता है।
सारांश यह कि सही या गलत जैसा कुछ नहीं होता। नेताओं, अभिनेताओं, खिलाड़ियों और सरकारों को अपना गुलाम बना चुके माफियाओं का गिरोह जो कुछ भी करे, वह सही है और जो उनका विरोध करे वह गलत है।
सदैव स्मरण रखें:
मानव का शरीर माफियाओं और देश के लुटेरों की चाकरी और गुलामी करने के लिए नहीं मिला है। मानव शरीर मिला है माफियाओं और लुटेरों की गुलामी से मुक्त होकर स्वतंत्र जीवन जीने के लिए।
Support Vishuddha Chintan
