क्यों जाते हैं लोग सत्संग में और क्या मिलता है लाभ सत्संग जाने से ?

यूपी के हाथरस में सत्संग के दौरान मची भगदड़ में लगभग 120 से ज्यादा की मौत, 150 से ज्यादा घायल.. मृतकों में कई महिलाएं व बच्चे भी शामिल।
जो तस्वीरें आ रहीं है काफी भयावह है !!!
कह रहे हैं लोग कि भोले बाबा के चरणों की धूल लेने के लिए भगदड़ मची थी। क्या था ऐसा बाबा की चरणों की धूल में जो उस धूल के लिए ढाई लाख से अधिक लोग एकत्रित हुए थे ?
यदि चरणधूलि में कोई चमत्कारिक शक्ति थी, जिससे बीमार लोग स्वस्थ हो जाते हैं, या समस्याओं का समाधान हो जाता है, गरीबी दूर हो जाती है, कर्जों से मुक्ति मिल जाती है, तो फिर उस धूल का प्रयोग प्रायोजित महामारी काल में क्यों नहीं किया गया ?
क्यों जाते हैं लोग सत्संग में और क्या लाभ मिलता है सत्संग में जाने से ?
मैने तो देखा है सत्संगियों को अपने ही सगे संबंधियों की संपत्ति हथियाने का षड्यंत्र करते हुए।
मैने तो देखा है सत्संगियों को दूसरों के यहां चोरी करते हुए !
मैने तो देखा है सत्संगियों को गाली, गलौज करते हुए!
मैने तो देखा है सत्संगियों को देश के लुटेरों और माफियाओं की जय जय करते हुए !
तो प्रश्न वही कि लाभ क्या सत्संग में जाने का जब यही सब करते हुए मर जाना है ?
मेरी समझ में आज तक नहीं आया कि लोग सत्संग में जाते क्यों हैं ?
और जहां लोग अपने बीमार परिजनों के उपचार की आस लिए जाते हैं, वह भला सत्संग कैसे हो सकता है ?
जहां लोग अपनी समस्याओं के समाधान की आस लिए जाते हैं, वह भला सत्संग कैसे हो सकता है ?
जहां लोग टाइम पास करने के लिए जाते हैं, वह भला सत्संग कैसे हो सकता है ?
जहां दुनिया भर के झूठे कथा-कहानियाँ सुनाई जाती हों, जहां कोई व्यावहारिक, नैतिक, सामाजिक सुधार, प्रकृति संरक्षण से संबन्धित चर्चा ना होती हों, वह भला सत्संग कैसे हो सकता है ?
जहां अधर्म और अन्याय के विरुद्ध आवाज उठाने की शिक्षा ना दी जा रही हो, वह भला सत्संग कैसे हो सकता है ?
जहां लोग मनोरंजन के लिए जाते हों, वह भला सत्संग कैसे हो सकता है ?
सत्संग का अर्थ ही होता है सत्य मार्गियों के संग, सत्य के संग। लेकिन सत्संग में झूठे मनगढ़ंत किस्से कहानियाँ सुनाई जाती हैं ?
ढोंगी-बाबाओं, नेताओं, अभिनेताओं और सरकारों पर अंधविश्वास क्यों ?
कह रहे हैं लोग कि ढोंगी बाबाओं ने अंधविश्वास फैलाया अपनी जेब भरने के लिए। लेकिन अंधविश्वास फैला कौन नहीं रहा है अपनी जेब भरने के लिए ?
क्या नेता लोग अंधविश्वास नहीं फैलाते ?
क्या अभिनेता अंधविश्वास नहीं फैलाते ?
क्या सरकारें अंधविश्वास नहीं फैलाते ?
ढोंगी बाबाओं पर तुरंत उँगलियाँ उठ जाती हैं। और उँगलियाँ उठाने वाले वे लोग ही अधिक होते हैं, जो नेताओं, अभिनेताओं, सरकारों, फार्मा माफियाओं और देश के लुटेरों पर अंधविश्वास किए बैठे हैं। जो यह मानते हैं कि ये लोग देश और जनता का भला कर रहे हैं, देश व जनता की सेवा कर रहे हैं।
सत्य तो यही है कि नेता, अभिनेता, ढोंगी बाबा, पार्टियां, सरकारें और फार्मा माफिया झूठ और अंधविश्वास फैलाकर अपनी जेबें भर रहे हैं।
ऐसे सभी खेल, राजनीति, नौकरियाँ जिससे ना समाज का कोई होता है, ना देश का कोई हित होता है, लेकिन पूँजीपतियों, राजनेताओं, राजनैतिक पार्टियों और सरकारी लोगों का हित होता है, उनका बड़ा महिमा मंडन किया जाता है।
अभिनेता जिन उत्पादों का प्रचार करते हैं, उनका स्वयं कभी उपयोग नहीं करते। उदाहरण के लिए गुटखा, खैनी और जुए का प्रचार करने वाले अभिनेता और खिलाड़ी स्वयं कभी उनका उपयोग नहीं करते।
देश के लिए मरने मिटने की बात करने वाले नेता स्वयं अपने ही देश को लूटने और लुटवाने वालों के चौखट पर नीलाम होने के लिए लाइन लगाकर खड़े रहते हैं।
नैतिकता और धार्मिकता का पाठ पढ़ाने वाले बाबा स्वयं माफियाओं और देश के लुटेरों के सामने नतमस्तक रहते हैं।
देश और जनता की सेवा करने की शपथ लेने वाले सरकारी अधिकारी और डॉक्टर देश के लुटेरों और माफियाओं के सामने नतमस्तक रहते हैं।
तो कौन नहीं कर रहा ढोंग-पाखण्ड ?
यहाँ तो समाज ही ढोंगी-पाखण्डी और दोगला है, तो फिर बचा कौन ढोंग-पाखंड से ?
और जो ढोंग-पाखण्ड नहीं कर रहा, जो जनता को सच बता रहा है, आईना दिखा रहा है वह बहिष्कृत जीवन जी रहा है।
और सत्य मार्गियों का बहिष्कार करके देश के लुटेरों और माफियाओं की चाकरी, चापलूसी, गुलामी और स्तुति-वंदन करने वाला समाज सत्संग जाकर ढोंग करता है धार्मिक, सात्विक और आध्यात्मिक होने का। लेकिन समाज को ढोंगी-पाखंडी कहने का साहस किसी में नहीं।
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