अपना होने का दावा करने वालों से सावधान !
सभी के जीवन में ऐसे लोग होते हैं, जो दावा करते हैं कि वे आपके अपने हैं। कुछ तो उससे भी बढ़कर दावा करते हैं कि हम आपके लिए जान भी दे सकते हैं।
लेकिन ऐसे दावा करने वाले अपनों से सावधान रहने की आवश्यकता है। क्योंकि जिस दुनिया में सगे-सम्बन्धी अपने नहीं हो पाते, जिस दुनिया में सगे माँ-बाप, भाई-बहन यहाँ तक कि सात फेरे लेकर बने जीवन साथी अपने नहीं हो पाते, उस दुनिया में अपना होने का दावा करने वाले भला अपने कैसे हो सकते हैं ?
यहाँ हर कोई व्यापार कर रहा है, हर कोई लाभ-हानि देखता है, हर कोई दूसरे का उपयोग कर रहा है….क्योंकि मानव एक उपयोगी प्राणी है और जो उपयोगी न हो, उसे फेंक दिया जाता है।
लेकिन ऐसा नहीं है कि अपने नहीं होते। होते हैं, लेकिन वे अपना होने का दावा नहीं करते। जो अपने होते हैं, वे अपनों को कष्ट में नहीं देख सकते। जो अपने होते हैं, वे निःस्वार्थ, निःसंकोच हर संभव सहायता करते हैं। ऐसा नहीं हो सकता कि आप कहीं किसी विपदा में फंसे हों और आपके अपने निश्चिंत सो रहे हों, मस्ती कर रहे हों। और हाँ जो आपके अपने होंगे, वे आवश्यक नहीं कि आपके परिचित ही हों, वे अपरिचित भी हो सकते हैं। वे सहयोग करेंगे, समस्या सुलझाएँगे और गायब हो जाएँगे। शायद आप उनका नाम भी ना जान पाएँ…..क्योंकि अपने जो भी होंगे, वे आत्मा से जुड़े होंगे, न कि दिमाग, पद, प्रतिष्ठा या किसी स्वार्थ से।
इसलिए कहते हैं अपनों की पहचान विषम परिस्थियों में ही होती है। सम या अनुकूल परिस्थिति में तो पराये भी अपने बने फिरते हैं व्यक्तिगत स्वार्थवश।
~ विशुद्ध चैतन्य ✍️