धर्मसंकट में चुनमुन परदेसी

चुनमुन परदेसी अपने सेनापतियों के साथ मंत्रणा कक्ष में बैठे गहन मंत्रणा कर रहे थे। सुबह सुबह ही कौरवों के राजदूत ने महाभारत युद्ध में उनकी ओर से युद्ध में सम्मालित होने का निमंत्रण दिया था।
शाम को पांडवों के राजदूत के आने की सूचना मिली थी। तो मंत्रणा यह चल रही थी कि कौरवों की पार्टी में सम्मिलित हों, या पांडवों की पार्टी में। चुनमुन परदेसी के सभी सेनापति कौरवों की स्तुति वंदन कर रहे थे। और चुनमुन परदेसी पांडवों के परम मित्र थे। तो गहरी दुविधा और धर्मसंकट में फंसे हुए थे चुनमुन परदेसी।
किसी ने सुझाव दिया कि पांडवों की ओर से मिलने वाले ऑफर देख लेते हैं, फिर निर्णय लिया जाएगा।
तो शाम को फिर मंत्रणा कक्ष में सभी इकट्ठे हुए और इस बार पांडवों के राजदूत भी थे।
राजदूत ने कोई ऑफर नहीं दिया, केवल इतना कहा कि आप हमारे परम मित्र हैं और फिर एक राजा होने के नाते आपको न्याय, धर्म और सत्य का ही साथ देना चाहिए।
चुनमुन ने अपने सेनापतियो की और प्रश्नवाचक दृष्टि से देखा। एक सेनापति बोला कि कौरवों ने जितने महान पराक्रमी कर्म किए हैं, उतना या उनके जैसा एक भी महान ऐतिहासिक कार्य किए हों, तब विचार किया जा सकता है।
पांडवों का राजदूत आश्चर्यचकित होकर पूछा: “कौरवों ने ऐसा कौन सा महान पराक्रम किया है, जिसे इतिहास में स्मरण रखा जायेगा ?”
दूसरा सेनापति बोला: “ध्युत क्रीड़ा में आपको परास्त किया। इससे सिद्ध हो जाता है कि कौरव खिलाड़ियों के खिलाड़ी हैं। और उनका यह पराक्रम इतिहास के पन्नों में अमर हो जाएगा।
तीसरा सेनापति बोला: “द्रौपदी चीर हरण, लाक्षागृह दहन जैसे महान पराक्रमी करके कौरवों ने अपना नाम इतिहास के पन्नों में दर्ज करवा लिया।
चौथा सेनापति बोला: हम ऐसी पार्टी के साथ खड़े होंगे, जिनका इतिहास के पन्नों में नाम अमर हो जाए। और भविष्य में लोग ऐसी ही पार्टी के साथ खड़े होंगे, जिनमें महान बलात्कारी, हत्यारे, घोटालेबाज, अंधे, गूंगे, बहरे लोग होंगे।
चुनमुन परदेसी के आंखों में खुशी के आंसू छलक आए और सेनापति को गले लगाकर बोला: तुमने मेरी आंखें खोल दी। आज से आप हमारे देश के धर्मगुरु हुए। आप जैसा धर्म का ज्ञाता ना पहले कभी हुआ था और ना भविष्य में कभी होगा। सारी दुनिया आपके ही दिखाए मार्ग पर चलेगी।”
पांडवों का राजदूत सर झुकाकर वहां से चला गया। चुनमुन परदेसी ने कौरवों को संदेशा भिजवा दिया कि उनकी सेना निश्चित समय पर पहुंच जाएगी।
और वर्तमान देख लीजिए ?
आज भी लुटेरों, माफियाओं, अंधे, गूंगे, बहरे राजनेताओं, पार्टियों, सरकारों के पक्ष में खड़ी होती है दुनिया।
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