शूद्र प्रवृत्ति के व्यक्ति की पहचान क्या है ?

शूद्र प्रवृत्ति के व्यक्तियों में विवेक-बुद्धि का अभाव होता है, इसलिए वे नैतिक और अनैतिक में अंतर नहीं कर पाते। वे आदेशों के अधीन होते हैं और केवल आदेशों का पालन करते हैं बिना नीति-अनीति का निर्णय किए।
शूद्र प्रवृत्ति के व्यक्ति ऐसा कोई भी काम नहीं कर सकते, जिसमें विवेक-बुद्धि, चिंतन-मनन आवश्यक हो।
यदि शूद्र प्रवृत्ति के व्यक्ति को ऐसी राजकीय (सरकारी) नौकरी मिल रही हो, जिसमें अपने ही देश को लूटने और लुटवाने वालों की सेवा या सहयोग करना हो, तो शूद्र सहर्ष स्वीकार कर लेगा। फिर भले वह ब्राह्मण परिवार में जन्मा हो, या क्षत्रिय या वैश्य परिवार में।
यदि शूद्र प्रवृत्ति के व्यक्ति को अपने ही देश के किसानों, आदिवासियों पर लाठी, भाला, बर्छा, गोली चलाने का आदेश मिले, तो शूद्र आदेशों का पालन करेगा। भले आदेश अनैतिक और अमानवीय ही क्यों ना हो।
यदि शूद्र प्रवृत्ति के व्यक्ति से कहा जाये कि माफियाओं की तिजोरियाँ भरने के लिए फर्जी सुरक्षा कवच चेपना है जनता को बंधक बनाकर, तो शूद्र आदेशों का पालन करेगा, भले उसे अपने ही परिवार से शुरू करना पड़े।
यदि शूद्र प्रवृत्ति के व्यक्ति को कहा जाये कि निर्दोषों की हत्या करनी है, आगजनी करनी है, दंगा-फसाद करना है उसके बदले पैसा मिलेगा, तो शूद्र तुरंत राजी हो जाएगा।
यही कारण है कि शूद्रों का बड़ा महत्व है राजनैतिक, साम्प्रदायिक, जातिवादी नेताओं, पार्टियों और संगठनों में। शूद्रों के बिना कोई पार्टी सरकार नहीं बना सकती, कोई साम्प्रदायिक नेता दंगा-फसाद, आगजनी नहीं करवा सकता।
सारांश यह कि शूद्र प्रवृत्ति के व्यक्ति आदेशों के अधीन होते हैं और आदेशों का उल्लंघन करने पर वह और उसका परिवार भूखों मर जाएगा। क्योंकि वह ना तो स्वरोजगार कर सकता है, न व्यापार कर सकता है, न ही किसानी कर सकता है। शूद्र अपनी आजीविका के लिए केवल चाकरी और गुलामी कर सकता है और कुछ नहीं।
यही कारण है कि मुट्ठी भर माफिया पूरे विश्व को अपना गुलाम बनाकर रखते हैं।
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