पद-प्रतिष्ठा और स्थान पर आधारित मान-सम्मान और अपनापन आपका नहीं है
यदि पद, प्रतिष्ठा और स्थान पर आधारित हो सम्मान और अपनापन, तो फिर वह आपका नहीं है। उन्हें अपना समझने की मूर्खता कभी न करें।
हमारा अपना कुछ नहीं है इस जगत में। जो कुछ भी हमें इस जगत में मिलता है, वह सब शर्तों पर मिलता है, लीज़ पर मिलता है। कोई हमें मान-सम्मान देता है, प्रेम देता है तो बदले में कुछ ना कुछ अपेक्षा रखता है।
जो अनुभवों से सीखते हुए समझदार और जागृत होते हैं, वे ऐसे मान-सम्मान और अपनापन को महत्व नहीं देते जो स्वार्थ, पद, प्रतिष्ठा और स्थान पर आधारित हों। ऐसे लोगों को समाज रूखा असामाजिक घोषित कर देता है।