भारत का कृषि प्रधान देश होने का भ्रम
प्रारंभिक भ्रम
हममें से अधिकांश ने बचपन में पढ़ा था कि भारत एक कृषि प्रधान देश है। लेकिन जैसे ही गाँव से निकलकर शहरों में कदम रखा, असलियत सामने आई। भारत एक ऐसा देश बन चुका है जहाँ आम नागरिकों का जीवन माफिया और दलालों के हाथों में है। यहाँ जन्म लेने वाला हर व्यक्ति मानो गुलामी के बंधन में बंधा है, और उसका जीवन उद्देश्य केवल देश के लुटेरों और माफियाओं की सेवा करना रह गया है।
जवान और किसान के जीवन की कठोर सच्चाई
“जय जवान, जय किसान” का उद्घोष हम अक्सर सुनते हैं, लेकिन यह नारा आज का यथार्थ नहीं है। भारत का जवान और किसान, दोनों ही उन लोगों के आदेशों के गुलाम हैं, जो सत्ता में बैठे हैं या माफिया तंत्र को संचालित करते हैं। आखिर क्यों और किसने यह अफवाह फैलाई कि भारत एक कृषि प्रधान देश है?
किसान की उपेक्षा
आज का किसान अपने ही उत्पादों का मूल्य तय करने में असमर्थ है। दलाल और माफिया ही उसकी मेहनत की फसल का मूल्य निर्धारित करते हैं। किसान आज भी अनाज उपजाता है, लेकिन वह देश की जनता के लिए नहीं, बल्कि माफियाओं की जेबें भरने के लिए। प्राचीन काल में, जब भारत वास्तव में कृषि प्रधान देश था, तब लोग अपने परिवार के भरण-पोषण के लिए खेती करते थे। लेकिन आज के समय में किसान अपनी ही जमीन का मालिक होकर भी केवल एक मजदूर बनकर रह गया है।
आंदोलन और हड़ताल का असली मतलब
जब भी किसान हड़ताल करते हैं, तो समझा जा सकता है कि यह आंदोलन दरअसल उनके अधिकारों की पुकार नहीं, बल्कि उनके गुलामी का प्रतीक है। एक असली किसान, जो अपनी जमीन का मालिक है, हड़ताल पर नहीं बैठेगा। हड़ताल तो केवल मजदूर, नौकर, और गुलाम ही करते हैं। एक मालिक कभी हड़ताल नहीं करता।
समाधान और नया भारत
भारत तभी सच में कृषि प्रधान देश कहलाएगा, जब यहाँ के नागरिक अपनी भूमि पर विभिन्न प्रकार की फसलें, फल, और सब्जियाँ उगाएँगे। किसान अपने उत्पाद दलालों और माफियाओं को कौड़ियों के भाव में न बेचकर सीधे ग्राहकों को उचित मूल्य पर बेचें। इसके लिए उन्हें अपनी पुरानी पारंपरिक जैविक खेती प्रणाली को अपनाना होगा।
संकल्प
देश का हर किसान यह शपथ ले कि वह रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों का प्रयोग नहीं करेगा। वह अपनी भूमि पर केवल जैविक पद्धतियों से खेती करेगा। हर नागरिक अपने घर में कम से कम एक वृक्ष अवश्य लगाए। गाँव के सरपंच यह सुनिश्चित करें कि गाँव की सड़कों के किनारे छायादार वृक्ष लगाए जाएँ।
भविष्य की पीढ़ी का निर्माण
प्रत्येक नव-विवाहित जोड़ा यह सुनिश्चित करे कि वे अपने बच्चों को माफियाओं की गुलामी करने के लिए नहीं, बल्कि एक स्वतंत्र, आत्मनिर्भर नागरिक बनने के लिए तैयार करेंगे। भारत तब ही वास्तविक अर्थों में कृषि प्रधान देश कहलाएगा, जब यहाँ का हर नागरिक आत्मनिर्भर बनेगा और अपनी भूमि पर शुद्ध और रसायन मुक्त फसलें उगाएगा।
अन्यथा, अगर इसी तरह से चलता रहा, तो भारत एक कृषि प्रधान देश नहीं, बल्कि एक चाकर और गुलाम प्रधान देश बनकर ही रह जाएगा।
~ विशुद्ध चैतन्य ✍️