किसे पुनर्जन्म मिलेगा और किसे मोक्ष मिलेगा ?

आजकल बहुत से लोग मोक्ष प्राप्त करने के लिए दुनिया भर के कर्मकाण्डों में व्यस्त रहते हैं। किसी ने गंगा स्नान करने का वचन लिया है, तो कोई सवा पाँच रुपए का प्रसाद चढ़ाने का मन बना रहा है, सोचते हैं कि इससे जीवन-मरण के चक्र से मुक्ति मिल जाएगी और मोक्ष की प्राप्ति होगी। लेकिन क्या वाकई ऐसा होता है?
किसे पुनर्जन्म मिलेगा और किसे मोक्ष मिलेगा, यह जानने का एक आसान तरीका है, यह देखना कि एक व्यक्ति जीवन के 50वें साल के बाद दिखावे, आडंबरों और संग्रह करने की लत से मुक्त हो पाया है या नहीं। यदि किसी व्यक्ति को अभी भी अधिक से अधिक धन, संपत्ति और प्रतिष्ठा अर्जित करने की चाह है, तो समझ जाइए कि उसे मोक्ष प्राप्त करने के लिए कई और जन्म लेने पड़ेंगे।
अगर वह व्यक्ति अभी भी हर समय दौड़-धूप में लगा हुआ है, अपनी आवश्यकता से कहीं अधिक वस्तुओं का संग्रह करने में व्यस्त है, तो यह एक संकेत है कि मोक्ष की प्राप्ति के लिए उसे कई और जन्म लेने होंगे। यदि वह व्यक्ति पूजा-पाठ, मंदिर-मस्जिद और तीर्थ यात्राओं में उलझा हुआ है, तो निश्चित मानिए कि उसे अभी और कई जन्म लेना है।
ऐसे लोग जो कभी निःस्वार्थ दान नहीं करते, जिनमें परोपकार की भावना नहीं है, जो कंजूसी और स्वार्थ में ही लिप्त रहते हैं, उन्हें भी मोक्ष प्राप्ति के लिए कई जन्म और लेने होंगे। क्योंकि लोभ, मोह और स्वार्थ से ग्रस्त व्यक्ति मुक्ति नहीं पा सकता। असल मुक्ति तो उन्हीं को मिलती है, जो यह समझ पाते हैं कि माया और भ्रम के जाल से मुक्ति ही जीवन का असली उद्देश्य है। जब तक इंसान इस मायाजाल से नहीं निकल पाता, वह जन्म-मरण के चक्र से मुक्त नहीं हो सकता।
माया के जाल से मुक्त कैसे हुआ जाए?
अब प्रश्न यह उठता है कि माया के इस जाल से मुक्ति कैसे पाई जाए?
यह सच है कि माफिया और पूंजीवादी व्यवस्था ने इस दुनिया को इस तरह से नियंत्रित किया है कि कोई भी व्यक्ति इस जाल से बाहर निकलने का प्रयास भी करे तो वह अपनी ही कमजोरियों और बाहरी दबावों के कारण पुनः उस जाल में फंस जाता है। समाज और परिवार का दबाव, रिश्तों का उलझाव, और हर कदम पर सामने आने वाली चुनौतियाँ उसे वापस उसी स्थिति में खींच लाती हैं।
मगर, इसके बावजूद अगर हम अपनी मानसिकता और जीवन के प्रति दृष्टिकोण को बदल लें, तो धीरे-धीरे हम इस माया के जाल से बाहर निकल सकते हैं। यह एक कठिन प्रक्रिया है, पर अगर हम आत्मज्ञान प्राप्त करें, अपने अंदर की सच्चाई को पहचानें और मोह-माया से ऊपर उठने की कोशिश करें, तो ही हम पुनर्जन्म और मोक्ष के इस रहस्य को समझ सकते हैं।
सही रास्ता तभी मिलेगा, जब हम संसार के दिखावे और आडंबर से ऊपर उठकर केवल अपने भीतर की शांति और सच्चाई की ओर ध्यान केंद्रित करें। तभी हम अपने जीवन में एक सच्ची मुक्ति की ओर कदम बढ़ा सकते हैं।
निष्कर्ष:
इस जीवन के उद्देश्य को समझना बहुत जरूरी है। जब तक हम इस माया और भ्रम के जाल में उलझे रहेंगे, तब तक हमें पुनर्जन्म का सामना करना पड़ेगा। लेकिन जब हम इन चीज़ों से ऊपर उठकर आत्मा की शांति की ओर अग्रसर होंगे, तभी हम मोक्ष की ओर बढ़ सकते हैं।
~ विशुद्ध चैतन्य
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