दृष्टिकोण सही-गलत के परे

श्लोक, किताब और प्रवचन से कुछ समझ में आना होता, तो पढ़े-लिखे विद्वानों को धर्म समझ में आ गया होता।
यदि किसी को कुछ समझाना है, तो स्थानीय भाषाओं का ही प्रयोग करना चाहिए। हुआ यह कि हमारे देश में विलायती भाषाओं के माध्यम से ज्ञान बाँटना शिक्षित होने की निशानी है। स्थानीय भाषाओं के माध्यम से कोई समझाने निकलता है, तो लोग उसे अनपढ़, जाहिल, गँवार समझकर दुत्कार देते हैं।
रही #iitbaba की बात, तो वह अपनी जगह सही है। वह दुनिया को दूसरों की आँखों से नहीं, अपनी आँखों से देख रहा है। वह दुनिया को दूसरों के अनुभवों से नहीं, अपने अनुभवों से समझ रहा है। वह दुनिया की सही और गलत की परिभाषाओं को किताबी सिद्धांतों से नहीं, व्यावहारिक जगत से समझ रहा है।
और जहां तक सही और गलत की बात है, तो दुनिया में कुछ भी सही या गलत जैसा नहीं होता। केवल दृष्टिकोण का अंतर होता है, सही भी गलत हो जाता है और गलत भी सही हो जाता है। उदाहरणार्थ:
झूठ बोलना पाप है, अधर्म है, अनैतिक है, लेकिन नेता, अधिकारी, राजनैतिक पार्टी और अदालत में यही गुण सफलता के लिए अनिवार्य योग्यता मानी जाती है।
रिश्वत लेना, हेराफेरी करना, झूठे वादे करना किताबी दुनिया में पाप माना जाता है लेकिन व्यावहारिक जगत में सम्मानित नेता, अधिकारी और व्यापारी होने के लिए अनिवार्य योग्यता माना जाता है।
सारांश यह कि दृष्टिकोण (नजरिया) बदल लो, तो पाप पुण्य हो जाएगा और पुण्य पाप। देवालय नजर आने लगेंगे वैश्यालय और वेश्यालय देवालय नजर आने लगेंगे। लुटेरे, माफिया और शैतान साक्षात ईश्वर नजर आने लगेंगे और ईश्वर शैतान नजर आने लगेगा।
केवल दृष्टिकोण का ही अंतर है। इसीलिए हर चोर-उचक्का, उठाईगीरा यही कहता फिर रहा है कि अपना दृष्टिकोण बदल लो, फिर हम भी ईश्वर स्वरूप साधु-संत, गुरु, पालनहार, त्यागी, बैरागी, तपस्वी नजर आने लगेंगे।
दृष्टिकोण: चार दोस्तों की कहानी
कहते हैं विद्वान लोग कि दृष्टिकोण (नजरिया) बदल लो, फिर कहीं कोई भ्रष्टाचार, व्याभिचार, शोषण, अत्याचार नजर नहीं आएगा।
बचपन के चार दोस्त एक महा राजनैतिक सम्मेलन में मिले तो बड़े प्रसन्न हुए। चारों अपने बचपन के दिनों को याद कर खुश हो रहे थे। फिर अचानक उनका ध्यान एक दूसरे के गले में लटके परिचय पर गया। वे सभी अलग अलग राजनैतिक पार्टियों से संबन्धित थे। और सभी पार्टियां एक दूसरे की घोर विरोधी थीं।
वे चारों बड़े दुखी हुए कि हम चारों में इतना प्रेम था और आज इतने बरसों बाद मिले भी तो परस्पर विरोधियों के रूप में मिले। चारों दोस्त एक गुरु के पास पहुँचे और अपनी समस्या बताई।
गुरुजी मुस्कुराकर बोले: अरे ये तो कोई समस्या है ही नहीं, केवल अपना दृष्टिकोण बदल लो, फिर सारे बैर मिट जाएँगे। उनहोंने एक वामपंथी नेता और दक्षिणपंथी नेता का उदाहरण दिया। बताया कि वे भी एक दूसरे के कट्टर विरोधी थे, लेकिन उनकी संताने परस्पर प्रेमकर बैठी और विवाह करने की जिद करने लगी। तो उन्हें भी दृष्टिकोण बदलने की सलाह दी।
जैसे ही उन नेताओं ने अपना दृष्टिकोण बदला तो सारे बैर मिट गए। वामपंथी नेता को दक्षिणपंथ में कोई बुराई नहीं आ रही थी और दक्षिणपंथी नेता को वामपंथ में कोई बुराई नजर नहीं आ रही थी। वे खुशी-खुशी अपने बच्चों का विवाह करके समधी बन गए और आज दोनों मिलकर प्रेम और समर्पण भाव से देश को लूट और लुटवा रहे हैं।
तुम चारों भी अपना-अपना दृष्टिकोण बदल लो और फिर तुम्हें भी कहीं कोई बुराई नजर नहीं आएगी। फिर तुम चारों भी माफियाओं और लुटेरों के साथ मिलकर देश को लूट और लुटवाकर अपनी सात पीढ़ियों के लिए स्विस बैंक में धन संग्रह करके वैभव पूर्ण जीवन जीना।
चारों दोस्त गुरुजी के चरणों में गिर पड़े और उसी क्षण अपना-अपना दृष्टिकोण बदल कर एक हो गए।
~ विशुद्ध चैतन्य
Support Vishuddha Chintan
