डार्क मैटर और डार्क एनर्जी – क्या यही है ईश्वर ?

क्यों कोई कहता है — “ईश्वर है”, तो कोई कहता है — “नहीं है” ?
इस प्रश्न का उत्तर शायद अब विज्ञान से मिलने लगा है — डार्क मैटर और डार्क एनर्जी के रूप में।
ईश्वर की तरह अदृश्य
डार्क मैटर और डार्क एनर्जी — दोनों ही अदृश्य हैं।
वे न हमें दिखाई देते हैं, न हम उन्हें छू सकते हैं।
फिर भी, उनका प्रभाव इतना गहरा है कि बिना उनके ब्रह्मांड का अस्तित्व ही संभव नहीं।
क्या यह ईश्वर जैसा नहीं है ?
हम भी तो कहते हैं —
“ईश्वर दिखता नहीं, पर उसकी उपस्थिति हर क्षण महसूस होती है।”
आस्तिक और नास्तिक की भूल
ईश्वर को समझने की कोशिश न आस्तिक ने की, न नास्तिक ने।
- नास्तिक ने ईश्वर को इसलिए नकार दिया क्योंकि वह दिखाई नहीं दिया।
- आस्तिक ने ईश्वर को इसलिए स्वीकार लिया क्योंकि उसे बचपन से सिखाया गया।
लेकिन दोनों ही ज्ञान के पथ पर नहीं चले, बल्कि धारणाओं के जाल में उलझे रहे।
आज विज्ञान भी यही रास्ता चुन रहा है —
प्रश्न पूछना,
अनुसंधान करना,
अनुभव से सत्य तक पहुँचना।
क्या डार्क मैटर ही वह “ईश्वर” है ?
ब्रह्मांड में जो कुछ भी बंधा हुआ है, जो अपनी गति में है, जो अपनी धुरी पर घूम रहा है — वह किसी गुप्त शक्ति के कारण है। विज्ञान उसे डार्क मैटर कहता है।
पर क्या यही वह “शक्ति” नहीं, जिसे हम “परमात्मा का नियंत्रण” कहते हैं ?
वहीं डार्क एनर्जी — जो ब्रह्मांड को निरंतर फैला रही है, विकास की ओर ले जा रही है — क्या वह ब्रह्म का विस्तार, ईश्वर की लीला नहीं हो सकती ?
निष्कर्ष: ईश्वर और विज्ञान का मिलन
शायद वह दिन दूर नहीं जब विज्ञान भी कहेगा —
“हमने जिसे डार्क मैटर और डार्क एनर्जी कहा, वह असल में चेतना है — ब्रह्म है — परम सत्ता है।”
ईश्वर न मानने से वह ग़ायब नहीं हो जाता।
और ईश्वर को मान लेने भर से वह प्रकट नहीं हो जाता।
उसे जानना पड़ता है,
अनुभव करना पड़ता है,
जैसे डार्क मैटर और डार्क एनर्जी को जानने के लिए विज्ञान प्रयोग कर रहा है।
ब्रह्मांड के अदृश्य रक्षक: डार्क मैटर और डार्क एनर्जी की कथा
जब हम रात के सन्नाटे में आकाश की ओर देखते हैं, तो लगता है जैसे पूरा ब्रह्मांड मौन साधना में लीन है। कुछ तारे टिमटिमा रहे हैं, कहीं दूर कोई आकाशगंगा झलक रही है। पर क्या आपने कभी सोचा है — जो कुछ हमें दिखाई देता है, वह इस विराट ब्रह्मांड का केवल 5% है?
95% हिस्सा वो है जो नज़र नहीं आता, पर मौजूद है।
यह वही संसार है, जिसे विज्ञान डार्क मैटर और डार्क एनर्जी के नाम से जानता है, और योगदृष्टि में जिसे हम सूक्ष्म सत्ता, या अज्ञात चेतना का विस्तार कह सकते हैं।
डार्क मैटर – अदृश्य लेकिन आधारभूत
डार्क मैटर वह तत्व है जो दिखाई नहीं देता, पर आकाशगंगाओं को बाँधे रखता है। जैसे ईश्वर की उपस्थिति केवल अनुभव से जानी जा सकती है, उसी प्रकार डार्क मैटर को हम उसके प्रभाव से जानते हैं।
जब वैज्ञानिकों ने पाया कि आकाशगंगाएँ जितनी तेज़ी से घूम रही हैं, उतनी तो नहीं घूमनी चाहिए थी — तब यह स्पष्ट हुआ कि कोई अदृश्य शक्ति है, जो इन तारों को गिरने से बचाए हुए है।
क्या यह हमारी चेतना के भीतर काम कर रही अदृश्य नैतिकता जैसी नहीं है, जो हमें बिखरने से रोकती है ?
डार्क एनर्जी – फैलाव की रहस्यमयी शक्ति
डार्क एनर्जी और भी विचित्र है। यह वह शक्ति है जो ब्रह्मांड को निरंतर फैला रही है, उसे विस्तार दे रही है। जैसे साधक की चेतना ध्यान में प्रवेश कर अंतरिक्ष की गहराइयों में विलीन हो जाती है — उसी तरह ब्रह्मांड भी लगातार अज्ञात की ओर बढ़ रहा है।
यह कोई गुरुत्वाकर्षण नहीं, बल्कि विपरीत दिशा में खींचने वाली एक रहस्यमयी शक्ति है। विज्ञान इसे डार्क एनर्जी कहता है, पर योगशास्त्र में शायद इसे हम शून्यता की क्रिया, या ब्रह्म की गति कह सकते हैं।
एक प्रतीकात्मक दृष्टि
तत्व | दृश्यता | प्रभाव | आंतरिक प्रतीक |
---|---|---|---|
डार्क मैटर | अदृश्य | गुरुत्व से जोड़ता है | अंतर्मन का अनुशासन |
डार्क एनर्जी | अदृश्य | फैलाव, विस्तार | चेतना की मुक्त उड़ान |
सामान्य पदार्थ | दृश्य | तारों, ग्रहों के रूप में दिखता है | स्थूल शरीर |
निष्कर्ष
यह ब्रह्मांड केवल पदार्थों से नहीं बना है। इसकी नींव में अदृश्य शक्तियाँ, सूक्ष्म संतुलन, और गहन मौन का विज्ञान छिपा हुआ है। विज्ञान इन्हें डार्क मैटर और डार्क एनर्जी कहता है, पर हमारे ऋषियों ने इन्हें शायद पहले ही जान लिया था — सूक्ष्म शरीर, प्राणशक्ति, और अंतर्बोध के रूप में।
डार्क मैटर और डार्क एनर्जी का अध्ययन केवल खगोलशास्त्र नहीं, बल्कि एक आत्मिक अन्वेषण भी है।
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