भारतीय संस्कृति, सभ्यता, धर्म और भाषा का खंडहर अर्थात भविष्य का भारत

हिंदूवः सहोदरः सर्वे, न हिन्दू पतितो भवेत्!
मम दीक्षा हिन्दू रक्षा, मम मन्त्रः समानता!
“सारे हिंदू सहोदर (माँ=मातृभूमि जाये भाई) हैं, कोई भी हिंदू नीच या पतित नहीं हो सकता। हिंदू रक्षा मेरी दीक्षा है और समानता मेरा मंत्र है”
स्वयं हिन्दू ही हिन्दुत्व के विनाश की नींव रख चुके हैं
आज हिन्दू संस्कृत के श्लोक रट तो रहें हैं और सोशल मिडिया में पोस्ट भी कर रहें हैं लेकिन अर्थ और परिभाषा आज तक नहीं समझ पाए। यदि समझ गए होते तो अपने गुणों को श्रेष्ठ बनाने के लिए कर्म कर रहे होते न कि दूसरों की थाली पर नजर गड़ाए बैठे होते।
हिन्दुओं को भेदभाव से मुक्त कर, एक कर राष्ट्र के लिए योगदान देने की बात दिमाग में नहीं आयी कभी इनके। सरकारी स्कूलों के गिरते स्तर और प्राइवेट स्कूलों से लुप्त होते भारतीय संस्कारों के विषय में कुछ नहीं कहा कभी।
हिन्दुत्व के फेस्बुकिया संरक्षक समझ रहें हैं कि माँसाहारियों की निंदा करने और ब्राह्मणों की प्रशंसा करने से हिंदुत्व की रक्षा हो जायेगी…. ऐसा करके वे उन सिक्खों और पंजाबियों को भी हिन्दुओं से अलग कर रहें हैं जो माँसाहारी हैं। काली और दुर्गा भक्तों को भी अलग कर रहें हैं जो माँसाहार करते हैं।
वे क्षत्रियों को भी हिंदुत्ब से अलग कर रहें हैं और यह सिद्ध करने का प्रयास कर रहें हैं कि हिन्दू अर्थात ब्राह्मण। केवल ब्राह्मण पुण्यात्मा हैं और बाकी सभी पापी है। फिर वह ब्राह्मण आदिवासियों के जमीन पर ही क्यों न अवैध कब्जा करता हो ?
फिर वह ब्राह्मण किसी गरीब की बहु बेटियों की इज्ज़त को तार-तार क्यों न करता हो ?
वहीं नरेन्द्र मोदी जी ने अपने शपथग्रहण समारोह के बाद दिए भोज में दोनों ही तरह के भोजन बनवा कर दूरियां मिटाने का पहला प्रयास किया था।
हिन्दुत्व के रक्षक होने की बात करने वाले स्वयं ही हिंदुत्व के विनाश की नींव रख चुके हैं इसमें बाहर के लोगों का कोई दोष नहीं है। हमने अपने श्रेष्ठ गुणों को निखारने के स्थान पर निंदा धर्म को अपना लिया यही हमारे पतन का कारण बना। यह कट्टरता के नाम पर दूसरों को मिटाने की इस्लामी नीति ही इस्लाम के साथ साथ हमें भी ले डूबेगी। इस्लाम तो आज विश्व में सर्वाधित तिरस्कृत सम्प्रदाय (धर्म) हो चुका है यह तो सर्वविदित है।
ठीक वही रूप देने का प्रयास कर रहें हैं हिंदुत्व को तथाकथित कट्टर हिन्दू। ताकि इनके प्रिय अमेरिका के लिए भारत में ईसाई धर्म के साथ ऍफ़डीआई लेकर आने में कोई कठिनाई न हो। अब आप आज का धार्मिक वातावरण ही देख लें, हिंदुत्व अब बजरंगी और शिवसैनिक की पहचान बन गयी है।
युवा अब भारत में नहीं अमेरिका में रहना पसंद करते हैं। कारण है वहाँ आपके व्यक्तिगत विषयों में समाज का दखल नहीं है। वहाँ ईसाई हिन्दू मंदिरों में जा सकते हैं और हिन्दू गिरजाघरों में जा सकते हैं। वहां एक ही घर में कोई ईसाई धर्म को मान सकता है तो कोई हिन्दू धर्म को अपना सकता है।
जबकि हिन्दु धर्म को हिन्दुत्व के ठेकेदार संकीर्ण करते चले जा रहे हैं। जबकि हमारे धर्म में भैरव की भी पूजा होती है और काली की भी। शिव की आराधना होती है तो विष्णु की भी। लेकिन आपस में कोई बैर नहीं था। लेकिन आज हम कालिपुजकों की निंदा करते हैं क्योंकि वे माँसाहारी होते हैं। कुल मिलाकर यह कि हिन्दू धर्म हिदुओं का न होकर केवल ब्राह्मणों का हो गया।
अब जो क्षत्रिय और शूद्र माँसाहार करते हैं, वे हिन्दू धर्म से बहिष्कृत हो गये अपरोक्ष रूप से। हमने स्वयं ही यह सिद्ध कर दिया कि यह आधुनिक हिन्दू धर्म वह हिंदुत्व नहीं है, जो ऋषियों ने समझाया था। यह वह हिन्दू धर्म है जो ब्राम्हणों ने तय किये हैं। आज यह धर्म सम्पूर्णता खो चूका है।
यह धर्म अपनी विशालता खो चुका है और अब कुछ वर्षों में केवल ब्राह्मणों तक ही सीमित रहा जाएगा यह हिन्दू धर्म। क्योंकि बाकी लोग या तो अलग पंथ की नींव रखेंगे या फिर इसाई धर्म को अपनाएंगे। क्योंकि वे संकुचित विचारधारा के साथ विश्व में नहीं फ़ैल रहे। इस्लाम भी अपनी कट्टरता के कारण विलुप्त हो जाएगा।
हिंदुत्व की गरिमा को कम व संकीर्ण करने का प्रयास आत्मघाती है। हिन्दू धर्म की विचारधारा को लेकर ही बौध धर्म निकला। जीसस भी तीस सालों तक भारत की भूमि से ही धर्म को समझा और इसाई धर्म के संस्थापक हुए। क्योंकि हमारा धर्म इतना विशाल था कि उसे चार वर्णों में रखकर सभी को जोड़े रखने का प्रयोजन किया गया। जबकि ब्राह्मणों ने इसे संकीर्ण करना शुरू कर दिया और आज माँसाहारी क्षत्रियों को भी शायद बाहर करना चाहते हैं इस धर्म से।
और यह सब हो रहा है विदेशियों और राजनीतिज्ञों की मिलीभगत से जिसमें सहयोग कर रहें हैं हमारे धर्म गुरु और धर्म के ठेकेदार। क्योंकि सभी जानते हैं कि इस्लाम धर्म आतंकवादियों के कारण पहले ही त्याज्य हो चुका है इसलिए यदि हिन्दुओं ने अपने मूल गुण को पहचान लिया तो मुस्लिम भी वापस हिंदुत्व को अपनाना शुरू कर देंगे।
इसलिए हिन्दुओं के मूल सिद्धांत को आधार बनाकर बने ईसाई धर्म के लोगों के साथ मिलकर यह षड्यंत्र रचा जा रहा है और सभी को किसी न किसी रूप में निन्दित करके हिन्दू धर्म से विमुख किया जा रहा है।
इस्लाम तो आतंकवादियों के कारण पहले ही विश्व भर में निन्दित हो चुका है अब हिंदुत्व को भी सिद्ध कर रहें हैं कि यह भी संकीर्ण मानसिकता का धर्म है। ताकि ईसाई धर्म निर्विरोध यहाँ पर अपना प्रभुत्व जमा सके। जैसा कि दक्षिण और उत्तर पूर्व में हो ही चूका है।
अंग्रेजी हमारी राष्ट्रभाषा बन ही चुकी है, अंग्रेजी संस्कार हम अपना ही चुके हैं अंग्रेजी सीखे बिना भारतीयों की कोई इज्ज़त नहीं होती….. कुल मिलाकर हमने विदेशियों को स्वीकार कर लिया है और अब ईसाई धर्म स्वीकार करने में भी कोई विरोध नहीं होगा क्योंकि हिन्दू केवल ब्राह्मणों का है और माँसाहारियों को ईसाई धर्म ही अपनाना पड़ेगा या कोई नया पंथ अपनाना पड़ेगा।
~विशुद्ध चैतन्य
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