मल्टीटेलेंटेड लोग अक्सर बेरोजगार भटकते हैं

कुछ लोगों के साथ यह बहुत बड़ी समस्या होती है कि उन्हें आता तो सबकुछ है लेकिन पारंगत किसी भी चीज में नहीं होते। उन्हीं कुछ विशिष्ट व्यक्तियों में मैं भी हूँ।
मुझे भी जब कोई कुछ समझाने की कोशिश करता है तो मेरे भीतर का वह भाग जागृत हो जाता है और मुझे बताता है कि यह तो पता है मुझे। कोई शास्त्र समझाता है तो लगता है कि कोई नई बात नहीं बता रहा। कोई कहता है कि झूठ बोलना चोरी करना पाप है, तो लगता है यह तो मैं पहले से जानता हूँ।…. खैर यह तो मेरी निजी समस्या है इससे आप लोगों को क्या लेना देना ?

तो बात करते हैं उन लोगों की जो इस बात से परेशान हैं कि उन्होंने बहुत कुछ सीखा और ढेर सारी डिग्रियां समेटी, अंग्रेजी से लेकर भोजपुरी तक कई भाषाएँ सीखी लेकिन पारंगत किसी में नहीं हुए। वे जब शाहरुख़ खान को देखते हैं तो उनके अन्दर का अभिनेता जागृत हो जाता है, जब कटरीना को देखते हैं तो अभिनेत्री जागृत हो जाती है, जब भगवाधारी को देखते हैं तो बैराग उत्पन्न हो जाता है, जब नेता को देखते हैं भीतर केजरीवाल जागृत हो जाता है, जब किसी व्यापारी को देखते हैं तो अम्बानी जागृत हो जाता है…. लेकिन इनमें से बन कुछ नहीं पाते और नौकरी के लिए दफ्तरों के चक्कर लगाकर शाम को चप्पल चटकाते घर वापस आ जाते हैं।
अक्सर समाज ऐसे लोगों का मजाक उड़ाता है। लेकिन यदि आप भी मेरी ही तरह हैं तो या तो मेरी तरह बेरोजगारी और भुखमरी का जीवन स्वीकार कर लीजिये और धक्के खाते रहिये दर-बदर या फिर पहचानिए कि आप कौन हैं और क्यों हैं ?
आपको इतने सारे गुण दिए हैं ईश्वर ने इसलिए नहीं कि आप भ्रमित हो जाएँ, इसलिए दिए हैं कि आप सभी को समझ पायें। आप समझ पायें कि एक शिल्पकार के श्रम का मूल्य क्या है, आप समझ पायें कि एक टाइपिस्ट के श्रम की कीमत क्या है, आप समझ पायें कि जो आठ से दस घंटे कंप्यूटर में आखें गड़ाए फेसबुक पर मुफ्त में ज्ञान बाँटते रहते हैं (मेरी तरह) उनके श्रम की कीमत क्या है ?
कभी आपने देखा है हमारे सभी देवी देवताओं के कई कई हाथ होते हैं, लेकिन क्या कभी वे आपकी तरह भ्रमित होते हैं ? कई बार आप उनसे कुछ मांगने जाते हैं तो मांग पूरी होने में थोड़ा समय अवश्य लगता है लेकिन पूरी नहीं होगी ऐसा कभी आपके मन में विचार आता है ? बुजुर्ग हमेशा कहते हैं कि “भगवान् के घर घर देर है लेकिन अंधेर नहीं”. वह इसलिए ही तो कहते हैं कि वे जानते हैं कि ईश्वर एक इतने सारे हाथ हैं तो थोड़ा समय तो लगेगा ही कि कौन से हाथ से आपकी मांग पूरी की जाए यह सोचने में। लेकिन आपकी तरह हमेशा भ्रमित थोड़े ही रहते हैं ?
इसलिए अपने आप को आप एक उन श्रेष्ठ व्यक्तियों में गिनना शुरू कर दीजिये जिन्हें ईश्वर ने इस अपने जितना ही योग्य समझा और आपको कई गुण दिए न कि केवल एक गुण। आप किसी के नौकर बनने का सपना छोड़ कर मालिक बनने का सपना देखना शुरू कीजिये। शहरों में धक्के खाने के स्थान पर अपने गाँव लौट आइये। मधुपालन, गौपालन, मतस्यपालन, भरष्टाचार विरुद्ध आन्दोलन, जैसे कार्यों को अपनाइए और स्वावलंबी हो जाइए। आपके स्वावलंबी होते ही गाँव आत्मनिर्भर हो जाएगा और गाँव आत्म निर्भर होगा हॉट देश आत्मनिर्भर हो जाएगा। इसलिए अपने आस्तित्व को पहचानिए और ईश्वर का आभार मानिए कि उन्होंने आपको अपने समतुल्य समझा। ईश्वर ने आप पर विश्वास किया कि आप ईश्वर से आस लगाए लोगों को यह विश्वास दिला पायेंगे कि ईश्वर सभी की पुकार सुनता है लेकिन सभी जगह नहीं पहुँच सकता इसलिए आपको भेजा है उनके दुःख दूर करने के लिए।
इतने लम्बे लेख के बाद जो पहला प्रश्न आप उठाएंगे वह यह कि “जब आप हमें इतना ज्ञान मुफ्त में दे रहें हैं तो आप स्वयं क्यों नहीं आत्म-निर्भर हो जाते ? काहे को भगवा डाले धक्के खाते घूम रहें हो ?”
तो उत्तर होगा, “ईश्वर ने सभी को कुछ कार्य सौंपें हैं और उन कार्यों को जो जब समझ जाए कार्य करना शुरू कर देना चाहिए सो मैंने शुरू कर दिया है आपकी समझ में नहीं आया तो इमें दोष आपका नहीं है, उझे भी कई साल लगे यह समझने में कि ईश्वर ने मुझे क्यों भेजा है तो आप इतनी जल्दी कैसे समझ जायेंगे मेरे दो चार पोस्ट पढ़कर कि ईश्वर ने मुझे क्यों भेजा है ?
निर्णय आपको करना है कि आप मेरा या किसी और का अनुकरण करना चाहते हैं, या वह करना चाहते हैं जिसके लिए ईश्वर ने आपको भेजा है ?
~ विशुद्ध चैतन्य
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