“Experience lif…
“Experience life in all possible ways —
good-bad, bitter-sweet, dark-light,
summer-winter. Experience all the dualities.
Don’t be afraid of experience, because
the more experience you have, the more
mature you become.”
— Osho
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“Experience life in all possible ways —
good-bad, bitter-sweet, dark-light,
summer-winter. Experience all the dualities.
Don’t be afraid of experience, because
the more experience you have, the more
mature you become.”
— Osho
A Sannyasi, Blogger, and Former State Spoke Person for the Swabhiman Party-Jharkhand.
हिन्दुत्व और हिन्दू धर्म के नाम पर उत्पात मचा चुके लोग अब सनातन धर्म का खोल ओढ़कर घूमने लगे, बिना यह जाने कि सनातन धर्म वास्तव में है क्या। और सनातन धर्म की खोल में वे लोग ही उत्पात अधिक मचा रहे हैं, जो गौ रक्षा और धर्म रक्षा की आढ़ में मुस्लिमों की मोबलिंचिंग…
आज हर तरफ लोग क्रान्ति और सम्पूर्ण व्यवस्था परिवर्तन की बातें कर रहे हैं। कहने वाले और सुनने वालों की भीड़ बढ़ती ही चली जा रही है। तो प्रश्न उठता है कि सम्पूर्ण व्यवस्था परिवर्तन का स्वप्न लोगों ने देखना क्यों शुरू किया वह भी जागते हुए ? सम्पूर्ण व्यवस्था परिवर्तन का स्वप्न देखना कोई…
अक्सर लोग कहते हैं कि संन्यासी को ऐसा होना चाहिए या वैसा होना चाहिए । उसे यह करना चाहिए व वह करना चाहिए या यह खाना चाहिए या वह नहीं खाना चाहिए….यदि देखा जाए तो यह उन लोगों की समस्या है जो स्वयं से असंतुष्ट हैं और संन्यास का मूल अर्थ ही नहीं पता ।…
क्यों करते हैं लोग प्रचार अपने-अपने गुरुओं, धार्मिक ग्रंथों और पंथों संप्रदायों का ? कभी बैठकर गणना तो करिए कि समस्त विश्व में कुल कितने रिलीजन यानी संप्रदाय व पंथ हैं ? और सभी के भीतर झांककर देखिए तो जरा कि स्तुति-वंदन, भजन-कीर्तन, पूजा-पाठ, रोजा-नमाज, व्रत-उपवास, यज्ञ-हवन के सिवाय कुछ अलग क्या कर रहे हैं…
भक्ति का कोई स्टैंडर्ड ढंग नहीं है, कोई सरकारी ढंग नहीं है कि विशेष ढंग से करोगे, तो ही भक्ति पूरी होगी। तुम्हारी जैसी मौज हो। इसलिए तो कोई पत्थर के किनारे बैठ कर, राह के किनारे, रखे पत्थर के पास बैठ कर भक्ति कर लेता है। यह पत्थर ही है–औरों के लिए; लेकिन जिसने…
कहते हैं उन्हीं साधु संतों, ज्ञानियों को क्रोध आता है, जिनका ज्ञान अधूरा हो। और दुनिया में ऐसा कोई कभी पैदा हुआ नहीं, जिसका ज्ञान पूरा हो चुका, जिसके पास जानने के लिए और कुछ ना बचा हो। कहते हैं महर्षि रमण के पास एक पंडित पहुंच गया शास्त्रार्थ करने। रमण बोले ये सब व्यर्थ…