बातें जो हम नहीं जानते

gupt yojana
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अपनी योजनाओं को गुप्त रखें: सफलता का मूलमंत्र

हम सभी अपने जीवन में कुछ न कुछ योजनाएँ बनाते हैं। चाहे वह व्यक्तिगत हो, व्यावसायिक, या सामाजिक। हर योजना का उद्देश्य होता है उसे सफलतापूर्वक पूरा करना। लेकिन अक्सर ऐसा देखा जाता है कि जब हम अपनी योजनाओं का खुलासा पहले ही कर देते हैं, तो वह अधूरी रह जाती हैं या उनमें अनावश्यक…

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प्रायोजित महामारी 2023 आरम्भ
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प्रायोजित सरकारी महामारी 2023 श्रंखला का प्रथम चरण आरम्भ !

माफियाओं, सरकारों और राजनैतिक पार्टियों के भक्तों, भेड़ों और जोम्बियों तैयार हो जाओ बिलों में दुबकने के लिए !!! व्यावसायिक पर्यटन केन्द्रों में रूपांतरित हो चुके मंदिरों, तीर्थों में विराजमान ईश्वर/अल्लाह, देवी-देवताओं को चढ़ाये गए रिश्वत और कमीशन के एवज में जो भी काम करवाने हो, जल्दी करवा लो। क्योंकि वे भी प्रायोजित महामारी से…

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सरकारी महामारी
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सरकारी महामारी फर्जी है

कहा था ना मैंने कि सरकारी महामारी फर्जी है केवल सर्दी जुकाम को ही महामारी बताकर आतंकित किया गया था ? निमोनिया व अन्य बीमारियों से हुई मौतों के अलावा लापरवाही से हुई मौतों को सरकारी महामारी से हुई मौत बताकर शोर मचाया गया था ? लीजिये अब प्रमाण भी आ गया। अब ठंड से…

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स्वप्नलोक
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3rd Dimension या स्वप्नलोक ?

सात आसमान सुना ही होगा ? यम-लोक, ब्रह्म-लोक, पर-लोक, स्वप्न-लोक, पाताल-लोक, इंद्र-लोक… सुना होगा ? बहु-आयामी यानि #multidimensional भी सुना होगा आपने ? फिर यह भी सुना होगा कि अन्तरिक्ष यात्री किसी अन्य ग्रह से आते हैं ? कहीं ऐसा तो नहीं कि हम सब स्वप्नलोक में हैं। यहाँ कुछ भी सच नहीं है। महँगाई,…

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पूर्व जन्मों के संचित कर्म
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पूर्वजन्मों का संचित कर्म तय करता है कि आपका जीवन कैसा होगा

सोशल मीडिया पर आध्यात्म मत परोसिए। क्योंकि आध्यात्म कोई परोसने की चीज है ही नहीं। आध्यात्म तो स्वयं को जानने, समझने का माध्यम मात्र है। बहुत से लोग मुझसे अपेक्षा करते हैं कि सोशल मीडिया पर राजनैतिक लेखों की बजाय आध्यात्मिक लेख लिखा करूँ। लेकिन आध्यात्मिक लेख लिखने का लाभ क्या है ? ये जो…

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शाश्वत सत्य जिससे अनभिज्ञ था समाज सदियों तक
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वह शाश्वत सत्य जिससे अनभिज्ञ रहा विश्व सदियों तक

अब यदि कोई समझता है कि ये सब मिलकर धर्म, आध्यात्म, देश और मानवता की रक्षा कर पाएंगे, तो उससे अधिक बड़ा मूर्ख इस सृष्टि में कोई नहीं।

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father ज़िम्मेदारी
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थी मेरी ये ज़िम्मेदारी घर में कोई मायूस न हो

थी मेरी ये ज़िम्मेदारी घर में कोई मायूस न हो,

मैँ सारी तकलीफ़ें झेलूँ और तुम सब महफूज़ रहो

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गृह प्रवेश से पहले शुद्धिकरण क्यों आवश्यक है
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गृह-प्रवेश से पहले शुद्धिकरण क्यों आवश्यक है?

“गुरू जी एक बात बताइये ?क्या उस स्थान का शुद्धिकरण करना उचित है, जहाँ हाल ही में कोई परिवार रह कर गया हो ? विशुद्ध चैतन्य जी, अगर उचित है तो फिर अगर में नेता हु तो मुझे भी शुद्धिकरण कराना चाहिए ? हाँ स्थान के बजाए वोटो का शुद्धिकरण कराना चाहिए, पता नही किस…

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तीसरी आँख
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हमारा मन सेक्स-सेन्टर की तरफ बहता रहता है

पुराने दिनों में जब भी दीक्षा दी जाती थी, और दीक्षा वही दे सकता है जो आपकी समस्त जन्मों की सार संपदा क्या है, उसे समझ पाता हो, अन्यथा नहीं दे सकता। अन्यथा देने का कोई मतलब नहीं है। क्योंकि जहां तक आप पहुंच गए हैं उसके आगे यात्रा करनी है। तो तिलक अगर ठीक—ठीक…

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प्रकृति स्वयं अनपढ़ है
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प्रकृति स्वयं अनपढ़ है उसने कोई डिग्री नहीं ली कहीं से

कभी मैं प्रकृति के नियमों और मानव निर्मित नियमों में तुलना करता हूँ, तो मुझे प्रकृति के नियम मानवनिर्मित नियमों से हमेशा श्रेष्ठ व परिपक्व लगे। प्रकृति से गलती बहुत ही कम होती है और नियम उसने एक बार जो तय कर दिया तो सभी स्वतः बिना किसी तनाव व दबाव के न केवल स्वीकारते…

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shri krishna arjuna
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गीता सार: जो हुआ अच्छा हुआ और जो हो रहा है अच्छा ही हो रहा है !

गीता सार: अकसर ऐसे महान विद्वानों से मेरी भेंट हो जाती है, जो बात-बात पर श्रीकृष्ण ने कहा था…श्री राम ने कहा था….. कहकर ही अपनी बात कहते हैं। मेरी समझ में यह नहीं आता कि राम और कृष्ण जो कुछ कहा अपने अनुभव व ज्ञान से कहा, लेकिन अब उनको दोहराने का लाभ क्या…

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हर जन्म में कुछ सीखा
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कई जन्म लिए हमने और हर जन्म से कुछ सीखा

जब हम चींटी या मधुमक्खी थे, हमने संग्रह करने की कला सीखी। हमने सीखा कि संगठित रहना, सहयोग करना और निरंतर प्रयास करते रहना सफलता की कुंजी है। जब हम शेर थे, तब हमने अपनी शक्ति को पहचाना। हमने सीखा कि अपने अधिकार और प्रभुत्व को कैसे स्थापित किया जाए। शेर के रूप में हमने…

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