लक्ज़री बाबा उर्फ चुनमुन परदेसी
यह बात कई हज़ार साल पुरानी है। एक राज दरबार में चुनमुन नाम का एक कर्मठ दरबारी हुआ करता था। एक दिन उसके मन में वैराग्य का भूत सवार हुआ। उसने सरकारी नौकरी, यानी “राजा की चाकरी,” छोड़ दी और संन्यासी बन गया। मन में यह भाव था कि अब हर तरफ़ जय-जयकार होगी, त्यागी-बैरागी…