कहानियाँ

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लक्ज़री बाबा उर्फ चुनमुन परदेसी

यह बात कई हज़ार साल पुरानी है। एक राज दरबार में चुनमुन नाम का एक कर्मठ दरबारी हुआ करता था। एक दिन उसके मन में वैराग्य का भूत सवार हुआ। उसने सरकारी नौकरी, यानी “राजा की चाकरी,” छोड़ दी और संन्यासी बन गया। मन में यह भाव था कि अब हर तरफ़ जय-जयकार होगी, त्यागी-बैरागी…

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नियति: एक रूसी लोककथा

मृत्यु के देवता ने अपना एक दूत पृथ्वी पर एक मरणासन्न स्त्री की आत्मा को लाने भेजा। देवदूत ने धरती पर आकर उस स्त्री को देखा तो चिंता में पड़ गया, क्योंकि दो छोटी-छोटी जुड़वां बच्चियों में से एक उस मरणासन्न स्त्री के स्तन से लगी चूस रही है और दूसरी रोते-रोते सो गयी है…

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भक्ति कोई सरकारी ढंग नहीं
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भक्ति कोई सरकारी ढंग नहीं है कि विशेष ढंग से करोगे तो ही पूरी होगी

भक्ति का कोई स्टैंडर्ड ढंग नहीं है, कोई सरकारी ढंग नहीं है कि विशेष ढंग से करोगे, तो ही भक्ति पूरी होगी। तुम्हारी जैसी मौज हो। इसलिए तो कोई पत्थर के किनारे बैठ कर, राह के किनारे, रखे पत्थर के पास बैठ कर भक्ति कर लेता है। यह पत्थर ही है–औरों के लिए; लेकिन जिसने…

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break the rule
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पारम्परिक नियमों को तोड़े बिना महान कार्य संभव ही नहीं

प्राचीन ग्रीस में, महिलाओं को चिकित्सा का अध्ययन करने की मनाही थी। ईसा पूर्व 300 में जन्मी, एग्नोडाइस #Agnodice ने अपने बाल कटवाए और एक आदमी के रूप में तैयार होकर अलेक्जेंड्रिया मेडिकल स्कूल में प्रवेश किया। अपनी चिकित्सा शिक्षा पूरी करने के बाद एथेंस की सड़कों पर घूमते हुए, उन्होंने प्रसव में एक महिला…

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चुनमुन परदेसी और देवताओं का भोजन

कई हज़ार वर्ष पुरानी बात है। चुनमुन परदेसी नामक एक राजा किसी राज्य में राज करता था। बचपन से ही खाने-पीने का बहुत शौक था उसे, इसीलिये हर दिन नए नए व्यंजन बनवाता। ऐसा कोई व्यंजन नहीं था, जिसका स्वाद ना लिया हो उसने। दिन भर कुछ ना कुछ खाता रहता था। एक दिन शिकार…

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चुन्नुमल घुन्घुनियाँ और ब्रम्हराक्षस

चुन्नुमल घुन्घुनियाँ और ब्रम्हराक्षस

चुन्नुमल घुन्घुनियाँ एक बहुत ही प्रतिष्ठित व्यापारी थे। देश विदेश में उनका व्यापार फैला हुआ था। करोंड़ों का लेन देन चलता था उनका। व्यस्त इतने रहते थे कि आँख खुलते ही काम पर लग जाते और आँख बंद होने तक काम करते रहते थे। चारों ओर जयजयकार था उनका। लेकिन चुन्नुमल खुश नहीं थे। कारण…

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