धार्मिकता और सांप्रदायिकता में अंतर
मैंने देखा है, जो लोग पूजा-पाठ नहीं करते, जो ध्यान-भजन में लीन नहीं रहते, जो मंदिरों, मस्जिदों, गुरुद्वारों और गिरिजाघरों के चक्कर नहीं लगाते—उनके भीतर दया, करुणा और प्रेम की अजस्र धारा प्रवाहित होती है। उनके लिए सेवा करना, किसी की सहायता करना या दान देना कोई विशिष्ट कार्य नहीं, बल्कि उनके स्वाभाविक आचरण का…