धर्म और विज्ञान: सत्य की दो धाराएँ या दो धंधे ?
धर्म की आढ़ में गौतम बुद्ध, महावीर, जीसस आदि के नाम, नौकरियों को महान कर्म और स्वरोजगार, कृषि को निकृष्ट कर्म बताकर जनता को कायर और गुलाम मानसिकता का बनाया गया। और जब नागरिक गुलामी और चाकरी को ही जीवन का उद्देश्य मानकर जीने लगी, अपने खेत, भूमि बेचकर नौकरियों के पीछे भागने लगी, तब…