विशुद्ध चैतन्य

against truth
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सोशल मीडिया कम्यूनिटी स्टैंडर्ड क्या सत्य के विरुद्ध नहीं है ?

हाल ही में, सरिता प्रकाश जी का फेसबुक प्रोफ़ाइल और पेज फेसबुक द्वारा सस्पेंड कर दिया गया। फेसबुक का संदेश मिला कि सोशल मीडिया कम्यूनिटी स्टैंडर्ड का उल्लंघन हुआ है, इसलिए सस्पेंड किया गया। प्रोफ़ाइल को पुनः सक्रिय (रीएक्टिव) करने के लिए या तो पासपोर्ट की कॉपी आईडी प्रूफ के तौर पर जमा करनी होगी,…

jid hai shor machaane kii
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दीपावली: दीयों का त्यौहार या शोर-शराबे का ?

उत्सवों का उद्देश्य होता है हर्षोल्लास के साथ पारिवारिक और सामाजिक सम्बन्धों को सशक्त बनाना, प्रेम और आनन्द बाँटना और साथ दरिद्रों को भोजन और वस्त्र दान करना। दान करने का मुख्य उद्देश्य होता है अपनी समृद्धि का अहंकार न हो जाये, इसलिए कुछ अंश दूसरों को बाँटकर उन्हें भी अपनी प्रसन्नता में सम्मिलित करना।…

thopi hui manyataon se mukt sannyasi
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संन्यास: सामाजिक मान्यताओं और परम्पराओं का बंधन है या स्वतंत्रता ?

क्या आपने कभी सोचा है कि जीवन में हम कितनी चीजों के लिए दूसरों पर निर्भर रहते हैं? कितनी बार हमारे अपने ही शुभचिंतक और हितैषी हमारे निर्णयों के कारण दूर हो जाते हैं? पिछले साल 3 नवंबर को मैंने भी ऐसा एक कदम उठाया – आश्रम छोड़कर गाँव के एक साधारण घर में रहने…

maan samman
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पद-प्रतिष्ठा और स्थान पर आधारित मान-सम्मान और अपनापन आपका नहीं है

यदि पद, प्रतिष्ठा और स्थान पर आधारित हो सम्मान और अपनापन, तो फिर वह आपका नहीं है। उन्हें अपना समझने की मूर्खता कभी न करें। हमारा अपना कुछ नहीं है इस जगत में। जो कुछ भी हमें इस जगत में मिलता है, वह सब शर्तों पर मिलता है, लीज़ पर मिलता है। कोई हमें मान-सम्मान…

dharmsankat mein chunmun pardesi
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धर्मसंकट में चुनमुन परदेसी

चुनमुन परदेसी अपने सेनापतियों के साथ मंत्रणा कक्ष में बैठे गहन मंत्रणा कर रहे थे। सुबह सुबह ही कौरवों के राजदूत ने महाभारत युद्ध में उनकी ओर से युद्ध में सम्मालित होने का निमंत्रण दिया था। शाम को पांडवों के राजदूत के आने की सूचना मिली थी। तो मंत्रणा यह चल रही थी कि कौरवों…

व्यापार में सब जायज है
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मैंने साधु-समाज को बहुत निकट से देखा है

लोग मेरा भगवा देखकर सीधे रामायण, गीता, वेदों की बातें करने लगते हैं। भले इन ग्रन्थों को कभी पढ़ा न हो, केवल कुछ किस्से कहानियाँ पढ़ या सुन ली कहीं से और चले आते हैं वाद-विवाद करने। और जब मैं कहता हूँ कि इन सब विषयों में मेरी कोई रुचि नहीं, तो उन्हें बड़ा आश्चर्य…

tax chukaane ke bad
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भारी-भरकम टैक्स, रिश्वत, कमीशन, चन्दा चुकाने के बदले क्या मिलता है समाज और सरकारों से ?

समाज चाहे कोई भी हो, सत्य, न्याय और धर्म के पक्ष में नहीं होता। समाज सदैव उसके पक्ष में होता है, जिससे उसे लाभ होता है। और जिससे लाभ होता है, उसे ही अपना आदर्श और पूज्य मानता है। यही कारण है कि समाज आज तक नैतिक, धार्मिक, सात्विक और सुसंकृत नहीं हो पाया और…

swami arthaat swayam ka malik
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क्या वास्तव में कोई काम छोटा या बड़ा नहीं होता ?

कहते हैं विद्वान लोग कि कोई काम छोटा या बड़ा नहीं होता। लेकिन मैं कहता हूँ कि बिलकुल होता है छोटा और बड़ा काम। और यदि मेरा विश्वास न हो, तो अपने ही परिवार में देख लीजिये आपको छोटा और बड़ा काम दोनों दिख जाएगा। घर में रोटी, सब्जी, दाल बनाना छोटा काम है। लेकिन…

kahan hai samaj
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समाज सेवा जैसी मूर्खतापूर्ण कार्य मैं नहीं करता

संन्यास लेने के बाद जो सबसे बड़ा बदलाव मेरे भीतर हुआ, वह यह कि अब मुझे समाज मे रुचि नहीं। अब मुझे किसी के घर जाने से, किसी उत्सव, किसी सभा, किसी सत्संग में जाने पर आनन्द की अनुभूति नहीं होती। सच तो यह है कि अब मुझे किसी से मिलकर, किसी से बात करने…

yahan apna kaun hai
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अपना कहने वाले क्या वास्तव में आपके अपने होते हैं ?

अपना कौन है यहाँ ? मौखिक अपने तो बहुत मिल जाएँगे जो हमेशा कहते मिलेंगे कि हम तो आपके अपने हैं, या आप हमारे अपने हैं। लेकिन क्या वास्तव में वे अपने होते हैं ? नहीं… शब्दों से कोई अपना नहीं होता। अपना होता है व्यवहार से, अपना होता है सुख-दुख में साथ खड़े होने…

gulamon kii bheed
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क्या कभी सोचा है किसी ने कि जनसंख्या किसकी बढ़ी है ?

कहते हैं विद्वान लोग कि जनसंख्या वृद्धि प्रमुख कारण है गरीबी, भुखमरी, भ्रष्टाचार और भ्रष्ट सरकारों के बढ़ने और फलने फूलने का। लेकिन क्या कभी सोचा है किसी ने कि जनसंख्या किसकी बढ़ी है ? जनसंख्या बढ़ी है देश के लुटेरों और माफियाओं के गुलामों की। क्योंकि स्कूल, कॉलेज, विश्वविद्यालय और अन्य कोचिंग संस्थान गुलाम…

chawal aur roti saath nahi khaana chahiye
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कहते हैं विद्वान लोग: चावल और रोटी साथ नहीं खाना चाहिए

कहते हैं विद्वान लोग; “चावल और रोटी साथ नहीं खाना चाहिए।” लेकिन मैंने तो बहुत बार रोटी और चावल दोनों ही साथ खाया, मुझे तो कुछ नहीं हुआ ? फिर कहेंगे कि जवानी में पता नहीं चलेगा, बुढ़ापे में पता चलता है। अब बुढ़ापे में तो उसकी भी आंत साथ नहीं देती, जो दुनिया भर…