समाज

against truth
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सोशल मीडिया कम्यूनिटी स्टैंडर्ड क्या सत्य के विरुद्ध नहीं है ?

हाल ही में, सरिता प्रकाश जी का फेसबुक प्रोफ़ाइल और पेज फेसबुक द्वारा सस्पेंड कर दिया गया। फेसबुक का संदेश मिला कि सोशल मीडिया कम्यूनिटी स्टैंडर्ड का उल्लंघन हुआ है, इसलिए सस्पेंड किया गया। प्रोफ़ाइल को पुनः सक्रिय (रीएक्टिव) करने के लिए या तो पासपोर्ट की कॉपी आईडी प्रूफ के तौर पर जमा करनी होगी,…

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आजादी की गुलामी: शिक्षा और मानसिकता का संकट

आजादी के बाद, हमने शिक्षा के नाम पर डिग्री हासिल की, लेकिन इस प्रक्रिया में हम शारीरिक, मानसिक, आध्यात्मिक और आर्थिक रूप से गुलाम हो गए हैं। हम ऐसे नवाब बन गए हैं कि हमें यह भी नहीं पता चला कि कब हमारी ज़मीन खिसक गई। आज हमारे देश में कई लोग, चाहे वे सोने…

parivartan hi sansar ka niyam hai
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परिवर्तन ही प्रकृति का नियम है – ठहराव का नहीं

प्रकृति सदैव नवीनता को अपनाती है, जबकि अक्सर धार्मिक लोग पुरातन चीजों में आस्था रखते हैं। प्रकृति का नियम है कि यदि कुछ नया, बेहतर, या उन्नत संभव है तो वह पुराने को मिटाकर नया रचती है। चाहे वह डायनासौर जैसे विशालकाय जीवों का विलुप्त होना हो या मंगल ग्रह को निर्जीव करके पृथ्वी को…

thopi hui manyataon se mukt sannyasi
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संन्यास: सामाजिक मान्यताओं और परम्पराओं का बंधन है या स्वतंत्रता ?

क्या आपने कभी सोचा है कि जीवन में हम कितनी चीजों के लिए दूसरों पर निर्भर रहते हैं? कितनी बार हमारे अपने ही शुभचिंतक और हितैषी हमारे निर्णयों के कारण दूर हो जाते हैं? पिछले साल 3 नवंबर को मैंने भी ऐसा एक कदम उठाया – आश्रम छोड़कर गाँव के एक साधारण घर में रहने…

jab bharat sone kii chidiya tha
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प्राचीन दिवाली: जब भारत सोने की चिड़िया था

कई हजार वर्ष पुरानी बात है। उन दिनों भारत को “सोने की चिड़िया” कहा जाता था, क्योंकि यहाँ समृद्धि और सुख की कोई कमी नहीं थी। ऐसा लगता था मानो यह सोने के पिंजरे में बंद कोई शांति से सोती हुई चिड़िया हो। देश की प्रजा इतनी खुशहाल और संपन्न थी कि जीवन में न…

maan samman
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पद-प्रतिष्ठा और स्थान पर आधारित मान-सम्मान और अपनापन आपका नहीं है

यदि पद, प्रतिष्ठा और स्थान पर आधारित हो सम्मान और अपनापन, तो फिर वह आपका नहीं है। उन्हें अपना समझने की मूर्खता कभी न करें। हमारा अपना कुछ नहीं है इस जगत में। जो कुछ भी हमें इस जगत में मिलता है, वह सब शर्तों पर मिलता है, लीज़ पर मिलता है। कोई हमें मान-सम्मान…

व्यापार में सब जायज है
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मैंने साधु-समाज को बहुत निकट से देखा है

लोग मेरा भगवा देखकर सीधे रामायण, गीता, वेदों की बातें करने लगते हैं। भले इन ग्रन्थों को कभी पढ़ा न हो, केवल कुछ किस्से कहानियाँ पढ़ या सुन ली कहीं से और चले आते हैं वाद-विवाद करने। और जब मैं कहता हूँ कि इन सब विषयों में मेरी कोई रुचि नहीं, तो उन्हें बड़ा आश्चर्य…

tax chukaane ke bad
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भारी-भरकम टैक्स, रिश्वत, कमीशन, चन्दा चुकाने के बदले क्या मिलता है समाज और सरकारों से ?

समाज चाहे कोई भी हो, सत्य, न्याय और धर्म के पक्ष में नहीं होता। समाज सदैव उसके पक्ष में होता है, जिससे उसे लाभ होता है। और जिससे लाभ होता है, उसे ही अपना आदर्श और पूज्य मानता है। यही कारण है कि समाज आज तक नैतिक, धार्मिक, सात्विक और सुसंकृत नहीं हो पाया और…

swami arthaat swayam ka malik
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क्या वास्तव में कोई काम छोटा या बड़ा नहीं होता ?

कहते हैं विद्वान लोग कि कोई काम छोटा या बड़ा नहीं होता। लेकिन मैं कहता हूँ कि बिलकुल होता है छोटा और बड़ा काम। और यदि मेरा विश्वास न हो, तो अपने ही परिवार में देख लीजिये आपको छोटा और बड़ा काम दोनों दिख जाएगा। घर में रोटी, सब्जी, दाल बनाना छोटा काम है। लेकिन…

kahan hai samaj
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समाज सेवा जैसी मूर्खतापूर्ण कार्य मैं नहीं करता

संन्यास लेने के बाद जो सबसे बड़ा बदलाव मेरे भीतर हुआ, वह यह कि अब मुझे समाज मे रुचि नहीं। अब मुझे किसी के घर जाने से, किसी उत्सव, किसी सभा, किसी सत्संग में जाने पर आनन्द की अनुभूति नहीं होती। सच तो यह है कि अब मुझे किसी से मिलकर, किसी से बात करने…

gulamon kii bheed
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क्या कभी सोचा है किसी ने कि जनसंख्या किसकी बढ़ी है ?

कहते हैं विद्वान लोग कि जनसंख्या वृद्धि प्रमुख कारण है गरीबी, भुखमरी, भ्रष्टाचार और भ्रष्ट सरकारों के बढ़ने और फलने फूलने का। लेकिन क्या कभी सोचा है किसी ने कि जनसंख्या किसकी बढ़ी है ? जनसंख्या बढ़ी है देश के लुटेरों और माफियाओं के गुलामों की। क्योंकि स्कूल, कॉलेज, विश्वविद्यालय और अन्य कोचिंग संस्थान गुलाम…

उत्तम कृषि निकृष्ट चाकरी
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उत्तम खेती मध्यम बान, निकृष्ट चाकरी, भीख निदान

मजदूरी करना यदि गौरव की बात होती, किसानी करना यदि गौरव की बात होती, तो चाकरी या गुलामी करने वाले लोग आदर्श ना होते समाज के। अक्सर देखता हूँ लोगों को कहते हुए कि देखो फलाने की माँ, फलाने का पिता मजदूरी करता था या किसानी करता था। आज वह आईएएस बनकर अपने माता-पिता का…