सरकार

against truth
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सोशल मीडिया कम्यूनिटी स्टैंडर्ड क्या सत्य के विरुद्ध नहीं है ?

हाल ही में, सरिता प्रकाश जी का फेसबुक प्रोफ़ाइल और पेज फेसबुक द्वारा सस्पेंड कर दिया गया। फेसबुक का संदेश मिला कि सोशल मीडिया कम्यूनिटी स्टैंडर्ड का उल्लंघन हुआ है, इसलिए सस्पेंड किया गया। प्रोफ़ाइल को पुनः सक्रिय (रीएक्टिव) करने के लिए या तो पासपोर्ट की कॉपी आईडी प्रूफ के तौर पर जमा करनी होगी,…

dharmsankat mein chunmun pardesi
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धर्मसंकट में चुनमुन परदेसी

चुनमुन परदेसी अपने सेनापतियों के साथ मंत्रणा कक्ष में बैठे गहन मंत्रणा कर रहे थे। सुबह सुबह ही कौरवों के राजदूत ने महाभारत युद्ध में उनकी ओर से युद्ध में सम्मालित होने का निमंत्रण दिया था। शाम को पांडवों के राजदूत के आने की सूचना मिली थी। तो मंत्रणा यह चल रही थी कि कौरवों…

व्यापार में सब जायज है
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मैंने साधु-समाज को बहुत निकट से देखा है

लोग मेरा भगवा देखकर सीधे रामायण, गीता, वेदों की बातें करने लगते हैं। भले इन ग्रन्थों को कभी पढ़ा न हो, केवल कुछ किस्से कहानियाँ पढ़ या सुन ली कहीं से और चले आते हैं वाद-विवाद करने। और जब मैं कहता हूँ कि इन सब विषयों में मेरी कोई रुचि नहीं, तो उन्हें बड़ा आश्चर्य…

tax chukaane ke bad
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भारी-भरकम टैक्स, रिश्वत, कमीशन, चन्दा चुकाने के बदले क्या मिलता है समाज और सरकारों से ?

समाज चाहे कोई भी हो, सत्य, न्याय और धर्म के पक्ष में नहीं होता। समाज सदैव उसके पक्ष में होता है, जिससे उसे लाभ होता है। और जिससे लाभ होता है, उसे ही अपना आदर्श और पूज्य मानता है। यही कारण है कि समाज आज तक नैतिक, धार्मिक, सात्विक और सुसंकृत नहीं हो पाया और…

swami arthaat swayam ka malik
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क्या वास्तव में कोई काम छोटा या बड़ा नहीं होता ?

कहते हैं विद्वान लोग कि कोई काम छोटा या बड़ा नहीं होता। लेकिन मैं कहता हूँ कि बिलकुल होता है छोटा और बड़ा काम। और यदि मेरा विश्वास न हो, तो अपने ही परिवार में देख लीजिये आपको छोटा और बड़ा काम दोनों दिख जाएगा। घर में रोटी, सब्जी, दाल बनाना छोटा काम है। लेकिन…

कहीं आप ज़हर तो नहीं खा रहे
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आज तक जो कुछ भी आप खा-पी रहे थे, वह सब ज़हर है

सोशल मीडिया पर अचानक से ऐसे वैज्ञानिकों की बाढ़ आ गयी है, जो यह सिद्ध कर रहे हैं कि आज तक जो कुछ भी आप खा-पी रहे थे, वह सब ज़हर है। कोल्डड्रिंक जितने भी हमने पिये बचपन से लेकर आज तक, वे सभी टॉइलेट क्लीनर थे। जो भी पैकेट बंद खाद्य पदार्थ हम खाते…

सही और गलत
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यहाँ सही या गलत जैसा कुछ नहीं होता

भिन्न-भिन्न दृष्टिकोण, सिद्धांत और मान्यताओं से भरा हुआ है विश्व। और यहाँ कोई भी सही या गलत नहीं है। जो सिद्धान्त या मान्यता किसी एक के लिए गलत है, तो वही किसी दूसरे के लिए सही हो जाता है। समाज भी ताकतवर के पक्ष में खड़ा होता है, नैतिक, अनैतिक, धार्मिक, अधार्मिक से कोई संबंध…

जागृत और चैतन्य
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क्यों दुर्लभ होते हैं बुद्ध, ओशो, सुकरात जैसे जागृत और चैतन्य लोग ?

सच तो यह है कि हम सभी के भीतर बुद्ध, ओशो, सुकरात जैसे जागृत और चैतन्य होने का गुण विद्यमान होता है। लेकिन अधिकांश लोग सम्झौता कर लेते हैं और मार देते हैं बुद्ध, ओशो और सुकरात को। और जो सम्झौता नहीं करते, उनमें से अधिकांश को माफियाओं और लुटेरों के गुलाम समाज, सरकारें और…

मेहनत ही सफलता की कुंजी है
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कर्मफल जैसा कोई फल नहीं

कर्मफल का सिद्धान्त भी अब तर्क संगत नहीं रहा। कहते हैं बुरे कर्मों का बुरा फल मिलता है और अच्छे कर्मों का अच्छा फल मिलता है। और बुरा फल होता क्या है ? बुरा फल अर्थात दरिद्रता, महामारी, सूखा, भुखमरी, बेरोजगारी, या फिर समाज/ सरकार का क्रोध/सजा भुगतना। यदि यही बुरे कर्मों की सजा है,…

धन के लिए दौड़ इंसान से सब सुख छीन लेता है
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धन के लिए दौड़ इंसान से सब सुख छीन लेता है

तेलगी अपने जीवन के अंतिम क्षणो तक यही मानता रहा कि वह देशभक्त है और उसने जो कुछ भी किया जनता की भलाई के लिए ही किया। जब पुलिस अधिकारी तेलगी से कहता ही कि जो उसने हजारों करोड़ का घोटाला किया था, उन पैसों से सरकारें गरीब जनता के लिए अस्पताल, स्कूल, कॉलेज खुलवा…

क्या गृहस्थ जीवन वास्तव में महान तप है
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क्या वास्तव में ‘गृहस्थ जीवन’ सबसे महान तप है ?

कहते हैं लोग कि गृहस्थ जीवन सबसे महान तप है और जो ‘गृहस्थ जीवन’ के दायित्यों को निभा पाने में अक्षम होते हैं वे भगोड़े संन्यास ले लेते हैं। क्या वास्तव में ‘गृहस्थ जीवन’ सबसे बड़ा तप है ? यह उन लोगों के द्वारा थोपी हुई मान्यता है, जिन्हें अपने लिए आगजनी, दंगा-फसाद, मोबलिंचिंग, हत्याएँ,…

मेरी कमाई मेरे लेखन से है फिर भी मेरा लेखन किसी का गुलाम नहीं है
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मुफ़्त में कोई किसी को एक गिलास पानी भी नहीं पिलाता

बहुत बुरा लगता है जब कोई मुझे भिखारी, मुफ़्तखोर कहता है। और संभवतः उतना ही बुरा लगता होगा माफियाओं और देश के लुटेरों का गुलाम कहना उन्हें, जो यह मानकर जी रहे हैं कि उनका जन्म माफियाओं की चाकरी और गुलामी करने के लिए ही हुआ है। मैं जानता हूँ कि मुफ़्त में कोई किसी…