समाज, सेक्स और प्रेम : एक गूढ़ अंतर्दृष्टि
समाज हमेशा से सेक्स के विरोध में मुखर दिखाई देता है, लेकिन उसका यह विरोध वैसा ही होता है, जैसा कि राजनैतिक दलों का महँगाई, भ्रष्टाचार, एफडीआई, शोषण और अत्याचार के विरुद्ध होता है। जब तक सत्ता हाथ में नहीं आती, तब तक इनका विरोध किया जाता है, और सत्ता मिलते ही वही चीज़ें विकास…