आध्यात्म

samaj ka pratibimb aur chetana ka satya
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आईआईटी बाबा: समाज का प्रतिबिंब और चेतना का सत्य

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आज लोग #IITBaba उर्फ़ अभयसिंह का उपहास कर रहे हैं, लेकिन वास्तविकता यह है कि उन्हीं के पीछे दौड़कर समाचार एंकर, रिपोर्टर और यूट्यूबर अपनी टीआरपी और व्यूअरशिप बढ़ा रहे हैं। यह एक अजीब विडंबना है कि जिस व्यक्ति को उपेक्षित और हास्यास्पद बताया जा रहा है, वही वर्तमान मीडिया की सुर्खियों में छाया हुआ…

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guru, bhakti aur samaj kii vidambana
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गुरु, भक्ति और समाज की विडंबना

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इस संसार में किसी के जन्म-मरण से तब तक कोई फर्क नहीं पड़ता, जब तक कि उसके नाम पर व्यापार खड़ा न किया जा सके, कमाई का साधन न बनाया जा सके। यही कारण है कि वे गुरु, जिनके नाम पर अरबों-खरबों की संपत्ति खड़ी होती है, जिनके आश्रमों में राजनीति चमकती है, जिनकी शिक्षाओं…

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सोशल मीडिया की विविध दुनियाएँ
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मेरी दुनिया: एक अलग दृष्टिकोण

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सोशल मीडिया की विविध दुनियाएँ सोशल मीडिया आज की दुनिया का एक ऐसा मंच बन चुका है जहाँ हर व्यक्ति अपनी-अपनी रुचियों और सोच के अनुरूप एक अलग दुनिया बसा चुका है। साम्प्रदायिक लोगों की अपनी दुनिया है, जहाँ केवल हिन्दू-मुस्लिम विवादों पर चर्चा होती है। उनके मित्र, परिवार और समाज सब इसी खेल में…

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ध्यान के दौरान आने वाली बाधाओं से कैसे निबटा जाए ?

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प्रश्न:–ध्यान के दौरान खुजली व दर्द जैसी बाधा डालने वाली भावनाओं से कैसे निबटा जाए ? ध्यान में, ज्यादातर शारीरिक दर्द बाधा डालते हैं। क्या आप बताएंगे कि जब दर्द हो रहा है तब उस पर ध्यान कैसे किया जाए? ओशो:– यह वही है जिसकी मैं बात कर रहा था। यदि तुम दर्द महसूस करते…

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dharm, dhamm aur aadhyatma
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धर्म, धम्म और आध्यात्म में क्या अंतर है ?

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धर्म क्या है ? विभिन्न ग्रन्थों, विद्वानों ने धर्म की अलग-अलग परिभाषाएँ दी हैं। किसी के लिए धर्म कर्तव्य है, तो किसी के लिए धर्म आचरण है, तो किसी के लिए धर्म स्वभाव है, तो किसी के लिए धर्म गुण है। ओशो कहते हैं धर्म विद्रोह है। लेकिन मैं कहता हूँ कि धर्म वह आचरण…

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kyon nahi ho paata andhavishwason se mukt maanav

क्यों नहीं हो पाता अंधविश्वासों से मुक्त मानव समाज ?

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क्या अपने जीवन से निराश हैं ? क्या बनता हुआ काम बिगड़ जाता है ? क्या पैसा आपके हाथ में टिकता नहीं है ? क्या घर का कोई न कोई सदस्य बीमार रहता है ? तो विश्वप्रसिद्ध गुरुजी से मिलिये आज ही और समस्त समस्याओं से छुटकारा पाइए। ऐसे बहुत से विज्ञापन देखें होंगे आपने।…

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आध्यात्म और एलोपैथ
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आध्यात्मिक यात्रा में बाधक है एलोपैथ !

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यदि मैं कहूँ कि आध्यात्मिक यात्रा में बाधक है एलोपैथ तो स्वाभाविक है कि आपको आश्चर्य ही होगा। यह भी हो सकता है कि आप कहें मुझसे कि किसी अच्छे मनोचिकित्सक से अपना उपचार करा लो ? लेकिन सत्य यही है कि एलोपैथ बाधक है आध्यात्मिक यात्रा में और इस तर्क को समझने के लिए…

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व्यवसाय
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शिक्षा, चिकित्सा, न्याय, धर्म, आस्था, श्रद्धा और विश्वास का व्यवसाय

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क्यों करते हैं लोग अपने गुरु, अपने पंथ, अपने मजहब, अपने धार्मिक ग्रन्थों का प्रचार ? जिन्हें हम धर्मगुरु, धर्माचार्य कहते हैं, संन्यासी कहते हैं क्या वे वास्तव में संन्यासी होते हैं, या केवल मार्केटिंग एक्ज़्क्युटिव होते हैं ? ये जो सड़कों पर हरे रामा हरे कृष्णा या बाबा नाम केवलम या बाबाजी लाएँगे क्रान्ति,…

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धर्म और अध्यात्म के नाम पर गुलाम बनाया गया
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माफियाओं के साथ मिलकर लूटो और लुटवाओ

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क्या कभी सोचा है आप लोगों ने कि पूरे विश्व की जनता को धर्म, आध्यात्म और सभ्यता की आढ़ में कैसे कायर, गुलाम और #zombie बनाया गया ? सोचा है कभी कि धर्म और आध्यात्म आज पूजा-पाठ, रोज़ा-नमाज, व्रत-उपवास, कर्मकाण्ड, मंदिर-मस्जिद, गुरुद्वारा, चर्च तक ही सिमट कर क्यों रह गया ? क्योंकि धर्म खतरे में…

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आज आध्यात्मिक व्यक्ति या साधु-संत उन्हें ही माना जाता है जो….

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किताबी धार्मिक यानि साम्प्रदायिक होने और आध्यात्मिक होने में बहुत अंतर होता है। धार्मिक व्यक्ति समाज द्वारा स्वीकृत व सम्मानित होता है, क्योंकि वह समाज, सरकार और धर्म और जातियों के ठेकेदारों की मन-भावन बातें करता है। वह वही करता और कहता है जो समाज, सरकार और देश व जनता को लूटने और लुटवाने वाले…

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hosh na rah jaaye
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पड़े हैं भक्तिमार्ग में बिलकुल वैसे, कीचड़ में ध्यानस्थ पड़ा हो सूअर जैसे

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धर्माचार्यों और आध्यात्मिक गुरुओं ने यही सिखाया कि ध्यान करो, पड़े रहो सूअरों की तरह ईश्वर स्वयं आएंगे और अधर्मियों, अत्याचारियों और देश व जनता को लूटने और लुटवाने वालों का नाश करेंगे।

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पूर्व जन्मों के संचित कर्म
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पूर्वजन्मों का संचित कर्म तय करता है कि आपका जीवन कैसा होगा

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सोशल मीडिया पर आध्यात्म मत परोसिए। क्योंकि आध्यात्म कोई परोसने की चीज है ही नहीं। आध्यात्म तो स्वयं को जानने, समझने का माध्यम मात्र है। बहुत से लोग मुझसे अपेक्षा करते हैं कि सोशल मीडिया पर राजनैतिक लेखों की बजाय आध्यात्मिक लेख लिखा करूँ। लेकिन आध्यात्मिक लेख लिखने का लाभ क्या है ? ये जो…

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