आध्यात्मिक

jivan ko urjawan banayen
| |

अपने जीवन को ऊर्जावान बनाएं: शारीरिक, मानसिक, आध्यात्मिक और आर्थिक विकास

Shares

अपने जीवन को ऊर्जावान बनाने के लिए शारीरिक, मानसिक, आध्यात्मिक और आर्थिक विकास अत्यंत आवश्यक हैं। इसके लिए प्राकृतिक साग-सब्जियां, फल, और अनाज उगाने या खरीदने में कंजूसी न करें। यह शुद्ध आहार आपके समग्र विकास के लिए आवश्यक है और यह उस परमात्मा का प्रसाद है जो आपके मन में बसा है। सच्ची मेहनत…

Shares
सैक्स और मांसाहार से सर्वाधिक घृणा क्यों
| |

आध्यात्मिक गुरुओं को सैक्स और मांसाहार से सर्वाधिक घृणा क्यों है ?

Shares

आध्यात्मिक, धार्मिक, सात्विक लोगों की शिक्षाओं पर ध्यान दें, तो पाएंगे कि उन्हें सैक्स और मांसाहार से सर्वाधिक घृणा है। चाहे कोई भी दार्शनिक, आध्यात्मिक गुरु रहा हो, यहाँ तक कि ओशो को भी यदि सुनें तो पाएंगे कि वे भी सैक्स और मांसाहार के विरुद्ध थे। अर्थात जो व्यक्ति सैक्स और मांसाहार से मुक्त…

Shares
IMG 20230802 WA0005
|

मैं कैसे कहूं कि मेरे बच्चे नहीं मैं अकेली हूं ?

Shares

मां तो सबको गले लगाती है,सृष्टि के हर जीव-प्राणी हमारे ही बच्चे, मैं कैसे कहूं कि मेरे बच्चे नहीं मैं अकेली हूं?

Shares
4cf1ffae4fcfc93c2a4b4839d1064f51
|

चुनमुन परदेसी और देवताओं का भोजन

Shares

कई हज़ार वर्ष पुरानी बात है। चुनमुन परदेसी नामक एक राजा किसी राज्य में राज करता था। बचपन से ही खाने-पीने का बहुत शौक था उसे, इसीलिये हर दिन नए नए व्यंजन बनवाता। ऐसा कोई व्यंजन नहीं था, जिसका स्वाद ना लिया हो उसने। दिन भर कुछ ना कुछ खाता रहता था। एक दिन शिकार…

Shares
शाश्वत सत्य जिससे अनभिज्ञ था समाज सदियों तक
| | |

वह शाश्वत सत्य जिससे अनभिज्ञ रहा विश्व सदियों तक

Shares

अब यदि कोई समझता है कि ये सब मिलकर धर्म, आध्यात्म, देश और मानवता की रक्षा कर पाएंगे, तो उससे अधिक बड़ा मूर्ख इस सृष्टि में कोई नहीं।

Shares
ये दुनिया एक बाज़ार है और...
| | |

ये दुनिया एक बाज़ार है और समाज व सरकारें बिकाऊ

Shares

अधिकांश तीर्थयात्री व्यक्तिगत स्वार्थों, कामनाओं की पूर्ति की आशा से जाते हैं और बाकी सब पर्यटन (सैर-सपाटे) के उद्देश्य से। मैंने आज तक एक भी तीर्थ यात्री ऐसा नहीं देखा जो आत्मिक, आध्यात्मिक ज्ञान और उत्थान हेतु तीर्थ स्थलों पर पहुँचा हो। देखा जाये तो धार्मिक और आध्यात्मिक जितनी भी यात्राएं हैं, सभी लोभ और स्वार्थ से भरी हुई यात्राएं होती हैं

Shares
The Naked Truth
| |

The Naked Truth: सत्य पूर्णतः नग्न और नैतिक-अनैतिक से परे होता है

Shares

यदि कोई पूछे मुझसे कि आध्यात्मिक और अदानी-अंबानी होने में कोई अंतर है ? तो मेरा उत्तर होगा आध्यात्मिक होने और अडानी-अंबानी होने में कोई अंतर नहीं। धार्मिक होने और अडानी-अंबानी होने में भी कोई अंतर नहीं। क्योंकि आध्यात्मिक और धार्मिक दोनों की दौड़ धन, सम्पत्ति और ऐश्वर्य के लिए ही है। बड़े-बड़े त्यागी बैरागी,…

Shares
Politics Rajnaitik partiyon ko bhi dharm kyon nahi ghoshit kar dete

राजनैतिक पार्टियों को भी धर्म घोषित क्यों नहीं कर देते ?

Shares

कहते हैं डिग्रियाँ बटोरने के लिए स्कूल जाना जरूरी है। फिर स्कूल सर्टिफिकेट जारी करता है कि यह बालक अब डिग्रियाँ बटोरने के योग्य हो गया है इसलिए इसे कॉलेज में दाखिला दिया जा सकता सकता है। फिर बच्चा कॉलेज जाता है और डिग्रियाँ बटोरने का हुनर सीखता है। विक्षिप्त लोगों को विकलांग कहना पाप…

Shares
khaali hath खाली हाथ आए थे wpp1656510640936

खाली हाथ आए थे और खाली हाथ जाना है

Shares

जैसे आयु बढ़ती है, प्राणी अधिक से अधिक समझदार होता जाता है और समझ जाता है कि खाली हाथ आए थे और खाली हाथ जाना है। क्योंकि आयु के साथ-साथ अनुभव भी बढ़ता जाता है। फिर एक समय आता है, जब वह भीड़, समाज और परिवार का अंतर भी समझने लगता है। और जब उसे…

Shares
dogle dharmikon ka samaj
| | |

आस्तिक, नास्तिक, सात्विक और धार्मिक समाज दोगले और अधार्मिक क्यों होते हैं ?

Shares

कई प्रयोग करते हुए निरंतर बढ़ा चला जा रहा हूँ, लेकिन मेरा प्रयोग केवल मेरे लिए है। मेरे अपने ही आध्यात्मिक उत्थान के लिए। बिलकुल वैसे ही जैसे कोई ऋषि बियाबान में ध्यान करता रहता है, मैं समाज में रहकर ध्यान कर रहा हूँ। मेरा ध्यान उस रहस्य को जानने के लिए है, जिसे आज…

Shares
geeta saar
| |

गीता सार: जो हुआ अच्छा हुआ और जो हो रहा है अच्छा ही हो रहा है !

Shares

गीता सार: अकसर ऐसे महान विद्वानों से मेरी भेंट हो जाती है, जो बात-बात पर श्रीकृष्ण ने कहा था…श्री राम ने कहा था….. कहकर ही अपनी बात कहते हैं। मेरी समझ में यह नहीं आता कि राम और कृष्ण ने जो कुछ कहा अपने अनुभव व ज्ञान से कहा, लेकिन अब उनको दोहराने का लाभ…

Shares