भेड़ों के समाज के लिए क्या चिंता, क्या फिक्र, वो तो थाली-ताली बजा, टीका ठोंक कर खुश है !
भेड़ों के समाज के लिए क्या चिंता, क्या फिक्र, वो तो थाली-ताली बजा, टीका ठोंक कर खुश है!
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