आदर्श

आदर्श कभी न बनना
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कभी भी आदर्श या मसीहा बनने की कोशिश मत करना

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यदि अब तक आए मसीहा, पैगंबर, तीर्थंकर, अवतार, समाज सुधारक, गुरुओं के जीवनियों पर नजर डालें, तो लगभग सभी ने बलिदान दिया समाज की आँखें खोलने के लिए। लेकिन क्या समाज की आँखें खुलीं कभी ? उन्होंने दुनिया भर के कष्ट सहे, तिरस्कार सहा, सामाजिक बहिष्कार से लेकर क्रूर अमानवीय यातनाएँ सहीं। लेकिन क्या कोई…

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अपने अपने गुरुओं पर सबको बड़ा मान है
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गुरु पूर्णिमा: अपने-अपने गुरुओं पर सबको बड़ा नाज़ है

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आज गुरु पुर्णिमा है, तो हर कोई अपने अपने गुरुओं की आरती, स्तुति वंदन करने में व्यस्त है। लेकिन क्या ये समाज जिन्हें गुरु मानकर पूज रहा है, वास्तव में वे उस पूरे समाज के गुरु हैं,

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