कभी भी आदर्श या मसीहा बनने की कोशिश मत करना
यदि अब तक आए मसीहा, पैगंबर, तीर्थंकर, अवतार, समाज सुधारक, गुरुओं के जीवनियों पर नजर डालें, तो लगभग सभी ने बलिदान दिया समाज की आँखें खोलने के लिए। लेकिन क्या समाज की आँखें खुलीं कभी ? उन्होंने दुनिया भर के कष्ट सहे, तिरस्कार सहा, सामाजिक बहिष्कार से लेकर क्रूर अमानवीय यातनाएँ सहीं। लेकिन क्या कोई…