आस्तिक

नास्तिक और आस्तिक में कोई अन्तर नहीं
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रिलीजन हो या सम्मान दूसरों से प्राप्त होता है

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रिलीजन अर्थात किसी मत, मान्यता, परम्परा, धारणा, विचार या व्यक्ति विशेष को मानने वालों का समूह/सम्प्रदाय। रिलीजन का हिन्दी अर्थ सम्प्रदाय ही होगा, धर्म नहीं। और रिलीजन चाहे कोई भी हो, वह उसका अनुभव है, जिसके कारण रिलीजन अस्तित्व में आया, ना कि अनुयाइयों का। इसीलिए अनुयायी रिलीजन बदलते रहते हैं अपने अपने स्वार्थ और…

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माफियाओं और लुटेरों के सामने क्यों नतमस्तक हो जाते हैं आस्तिक और धार्मिक ?

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क्या कभी सोचा है कि दुनियाभर के आध्यात्मिक, धार्मिक, राजनैतिक, सामाजिक गुरु और संगठन, संस्थाएं मिलकर भी देश व जनता को लूटने और लुटवाने वालों का सामना क्यों नहीं कर पाते ?

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पड़े हैं भक्तिमार्ग में बिलकुल वैसे, कीचड़ में ध्यानस्थ पड़ा हो सूअर जैसे

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धर्माचार्यों और आध्यात्मिक गुरुओं ने यही सिखाया कि ध्यान करो, पड़े रहो सूअरों की तरह ईश्वर स्वयं आएंगे और अधर्मियों, अत्याचारियों और देश व जनता को लूटने और लुटवाने वालों का नाश करेंगे।

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और यही परम सत्य है !

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यदि आपके पास इतना धन है कि आप पुलिस, अदालत, ईडी, सीबीआई और सरकारों को खरीद सकें, तो यमराज भी आपका कुछ नहीं बिगाड़ सकता। ईश्वर भी आपके सामने नतमस्त्क हो जाएगा क्योंकि ईश्वर/अल्लाह के घर यानि मंदिर, मस्जिद, तीर्थ आदि सब इन्हीं की दया और कृपा पर टिके हैं। जब चाहें ईश्वर/अल्लाह हो बेघर…

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अपने अपने अहंकार पर सबको बड़ा नाज़ है
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अपने-अपने अहंकार पर सबको बड़ा नाज़ है

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किताबी और पारंपरिक धार्मिकों का अहंकार है कि हम महान हैं क्योंकि हमारे आराध्य, हमारे पूर्वज, हमारे गुरु, हमारे पैगंबर महान थे। डिग्रीधारी नास्तिकों का अहंकार है कि हम महान हैं, क्योंकि वैज्ञानिक नास्तिक हैं, डॉक्टर्स नास्तिक हैं, आविष्कारक नास्तिक हैं। उड़ रहे हैं सभी अपनी अपनी काल्पनिक महानताओं की ऊंचाइयों में बिना यह देखे…

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