चिदानंदरूपः शिवोऽहम् शिवोऽहम्
श्लोक:न पुण्यं न पापं न सौख्यं न दुःखंन मंत्रो न तीर्थं न वेदाः न यज्ञः।अहं भोजनं नैव भोज्यं न भोक्ताचिदानंदरूपः शिवोऽहम् शिवोऽहम्॥ यह श्लोक अद्वैत वेदांत और शिवत्व के मूल भाव को प्रकट करता है। इसे आदि शंकराचार्य के प्रसिद्ध “निर्वाण षट्कम्” से लिया गया माना जाता है, जिसमें आत्मा की वास्तविकता को स्पष्ट किया…