आत्मनिर्भरता

sannyas swabhiman aur sahyog
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संन्यास, स्वाभिमान और सहयोग: एक गहन दृष्टिकोण

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कई लोग कहते हैं, “जब तुमने संन्यास ले लिया, समाज का त्याग कर दिया, तो फिर झोंपड़ी की आवश्यकता क्यों? आर्थिक सहयोग क्यों चाहिए? यदि जंगल में ही रहना है, तो जंगलियों की तरह रहो। क्यों मांगते हो सहायता उस समाज से जो स्वयं माफियाओं का गुलाम है?” इसी मानसिकता ने हमारे समाज को भीतर…

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meri sachchi safalta
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सफलता की मेरी परिभाषा और समाज की सच्चाई

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मनोविज्ञान कहता है कि यदि समाज में प्रभाव जमाना है, दूसरों को आकर्षित करना है, और मान-सम्मान प्राप्त करना है, तो कपड़ों में सलीका होना चाहिए, चेहरे पर तनाव या दुःख की छाया नहीं दिखनी चाहिए। अपनी कमजोरियाँ, अपने दुःख और अपनी योजनाएँ कभी उजागर नहीं करनी चाहिए। देहाती मान्यता भी यही कहती है—अपनी भावी…

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स्वाभिमान और अनुभव की कहानी
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जीवन के उतार-चढ़ाव: स्वाभिमान और अनुभव की कहानी

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मनुष्य का जीवन हमेशा एक जैसा नहीं होता। मेरे जीवन ने भी इस सत्य को बार-बार सिद्ध किया है। कभी आसमान की ऊँचाइयों को छुआ है, तो कभी फुटपाथ पर अपनी रातें बिताई हैं। यह कहानी उन अनगिनत पलों की है, जो मेरे अनुभवों की थाती हैं। कभी मैं देश की जानी-मानी हस्तियों, म्यूजिक कंपनियों…

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क्या खोया और क्या पाया
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वर्षांत चिंतन: बीते वर्ष में क्या खोया और क्या पाया

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आज वर्ष 2024 का अंतिम दिन है। हम अगले वर्ष 2025 में फिर इसी मंच पर मिलेंगे। लेकिन आज का दिन विशेष है। यह दिन हमें ठहरकर चिंतन-मनन करने का अवसर देता है—क्या खोया, क्या पाया और किस दिशा में हमारा जीवन बढ़ रहा है। पिछले वर्ष, यानी 2023 के नवम्बर में, मैंने आश्रम जीवन…

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एकांतप्रिय होने कोई बीमारी नहीं है
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आज समाज के नाम पर केवल राजनैतिक, साम्प्रदायिक और जातिवादी भीड़ दिखाई देती है

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जो व्यक्ति समाज और भीड़ से अलग एकांत में रहना पसंद करते हैं और सीमित लोगों से ही मिलते-जुलते या बातचीत करते हैं, उन्हें मनोविज्ञान में “इंट्रोवर्ट” (Introvert) कहा जाता है। इंट्रोवर्ट के लक्षण: 1. एकांत प्रियता: ऐसे लोग अकेले समय बिताना पसंद करते हैं और इसमें उन्हें ऊर्जा मिलती है। उनके लिए एकांत एक…

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सोशल मीडिया की विविध दुनियाएँ
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मेरी दुनिया: एक अलग दृष्टिकोण

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सोशल मीडिया की विविध दुनियाएँ सोशल मीडिया आज की दुनिया का एक ऐसा मंच बन चुका है जहाँ हर व्यक्ति अपनी-अपनी रुचियों और सोच के अनुरूप एक अलग दुनिया बसा चुका है। साम्प्रदायिक लोगों की अपनी दुनिया है, जहाँ केवल हिन्दू-मुस्लिम विवादों पर चर्चा होती है। उनके मित्र, परिवार और समाज सब इसी खेल में…

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जब कोई साथ ना हो तब भी कोई साथ होता है
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जब अपने साथ छोड़ देते हैं तब परायों से सहयोग मिलता है

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सोशल मीडिया के समझदार, कर्मवादी और मेहनती लोगों ने मुझे अपनी फ्रेंडलिस्ट से बाहर निकाल दिया है। कारण पर चिंतन किया तो यही समझ में आया कि मैं उनकी तरह समझदार, कर्मवादी और मेहनती नहीं हूँ। मैं सोशल मीडिया पर दान और आर्थिक सहयोग मांग लेता हूँ। और मेहनती, कर्मवादी लोगों की नजर में दान…

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सम्मान की चाह या स्वतन्त्रता का चुनाव
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सम्मान की चाह या स्वतन्त्रता का चुनाव ?

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महत्वपूर्ण यह नहीं कि कौन आपको चाहता है, बल्कि यह है कि कौन आपको महत्व देता है और आपका सम्मान करता है। अक्सर, जब हम दूसरों की नजरों में विशेष बनने की कोशिश करते हैं, तो अपनी मौलिकता खो बैठते हैं। हमें वैसा बनने की मजबूरी होती है, जैसा दूसरा चाहता है। इस प्रक्रिया में…

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क्या आप जागृत और चैतन्य हैं
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जीवन की वास्तविकता: दूसरों की थोपी मान्यताओं से परे

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हमारे जीवन में कई बार ऐसा समय आता है जब हमें यह समझने का अवसर मिलता है कि सही-गलत, नैतिक-अनैतिक, पाप-पुण्य, हराम-हलाल जैसी अवधारणाएँ हमारे स्वयं के विचार नहीं हैं। ये सब हमारे ऊपर समाज, धर्म, संस्कृति, और संस्थाओं द्वारा थोपी गई मान्यताएँ हैं। इनका सत्य से कोई संबंध नहीं होता, बल्कि यह दूसरों के…

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अपनी योजनाओं को गुप्त रखें: सफलता का मूलमंत्र

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हम सभी अपने जीवन में कुछ न कुछ योजनाएँ बनाते हैं। चाहे वह व्यक्तिगत हो, व्यावसायिक, या सामाजिक। हर योजना का उद्देश्य होता है उसे सफलतापूर्वक पूरा करना। लेकिन अक्सर ऐसा देखा जाता है कि जब हम अपनी योजनाओं का खुलासा पहले ही कर देते हैं, तो वह अधूरी रह जाती हैं या उनमें अनावश्यक…

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त्याग और स्वतंत्रता: मेरी जीवन की क्रांति

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25-30 वर्ष पहले जो घरों की शान हुआ करते थे, जिन्हें बड़े सम्मान और गर्व के साथ रखा जाता था, आज लोग उन्हें भूल चुके हैं। आज कोई दहेज में कैसेट डेक या टू-इन-वन नहीं मांगता। जानते हैं क्यों ? क्योंकि उपयोगी वस्तु हो, पशु हो, या इंसान, एक दिन अनुपयोगी हो जाता है। एक…

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sangharsh gulami se aajadi ke liye
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बुलबुल का संघर्ष स्वतन्त्रता के लिए

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“प्रश्न: “जब आप माफियाओं और उनके चाकरों, गुलामों और भक्तों की आलोचना करते हो, उन्हें लुटेरा और प्रकृति का शत्रु कहते हो, तो फिर भला वे आपकी सहायता करेंगे क्यों ? और जब माफियाओं और लुटेरों की चाकरी, भक्ति, गुलामी ना करने वाले आप जैसे लोगों को सहायता मांगनी पड़ रही है स्वतन्त्र जीवन जीने…

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