अकेले होने से ज्यादा सुंदर कुछ भी नहीं
समाधि का दूसरा चरण है : अकेले होने का बोध। अकेले होने से ज्यादा सुंदर कुछ भी नहीं है। मैंने सुना है कि किसी देश में, किसी गरीब माली के घर में, बहुत से सुंदर फूल खिले थे। सम्राट तक खबर पहुंच गई थी। सम्राट भी प्रेमी था फूलों का। उसने कहा, मैं भी आऊंगा।…