जीवन की वास्तविकता: दूसरों की थोपी मान्यताओं से परे
हमारे जीवन में कई बार ऐसा समय आता है जब हमें यह समझने का अवसर मिलता है कि सही-गलत, नैतिक-अनैतिक, पाप-पुण्य, हराम-हलाल जैसी अवधारणाएँ हमारे स्वयं के विचार नहीं हैं। ये सब हमारे ऊपर समाज, धर्म, संस्कृति, और संस्थाओं द्वारा थोपी गई मान्यताएँ हैं। इनका सत्य से कोई संबंध नहीं होता, बल्कि यह दूसरों के…