धार्मिक ग्रंथ

guru, bhakti aur samaj kii vidambana
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गुरु, भक्ति और समाज की विडंबना

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इस संसार में किसी के जन्म-मरण से तब तक कोई फर्क नहीं पड़ता, जब तक कि उसके नाम पर व्यापार खड़ा न किया जा सके, कमाई का साधन न बनाया जा सके। यही कारण है कि वे गुरु, जिनके नाम पर अरबों-खरबों की संपत्ति खड़ी होती है, जिनके आश्रमों में राजनीति चमकती है, जिनकी शिक्षाओं…

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क्या आप जागृत और चैतन्य हैं
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जीवन की वास्तविकता: दूसरों की थोपी मान्यताओं से परे

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हमारे जीवन में कई बार ऐसा समय आता है जब हमें यह समझने का अवसर मिलता है कि सही-गलत, नैतिक-अनैतिक, पाप-पुण्य, हराम-हलाल जैसी अवधारणाएँ हमारे स्वयं के विचार नहीं हैं। ये सब हमारे ऊपर समाज, धर्म, संस्कृति, और संस्थाओं द्वारा थोपी गई मान्यताएँ हैं। इनका सत्य से कोई संबंध नहीं होता, बल्कि यह दूसरों के…

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सृष्टि क्या धार्मिक ग्रंथो पर आधारित है
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सृष्टि की रचना क्या धार्मिक ग्रंथो के आधार पर हुई है ?

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जब माफियाओं और देश के लुटेरों के सामने नतमस्तक हो चुके आस्तिकों, धार्मिकों, आध्यात्मिकों का समाज अपने अपने धार्मिक ग्रन्थों को महान बताता है, सभी समस्याओं का समाधान बताता है, तो प्रश्न अवश्य उठता है कि सृष्टि की रचना धार्मिक ग्रन्थों के आधार पर हुई है, या समस्त प्राणियों की रचना धार्मिक ग्रन्थों के आधार…

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