धार्मिक

सैक्स और मांसाहार से सर्वाधिक घृणा क्यों
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आध्यात्मिक गुरुओं को सैक्स और मांसाहार से सर्वाधिक घृणा क्यों है ?

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आध्यात्मिक, धार्मिक, सात्विक लोगों की शिक्षाओं पर ध्यान दें, तो पाएंगे कि उन्हें सैक्स और मांसाहार से सर्वाधिक घृणा है। चाहे कोई भी दार्शनिक, आध्यात्मिक गुरु रहा हो, यहाँ तक कि ओशो को भी यदि सुनें तो पाएंगे कि वे भी सैक्स और मांसाहार के विरुद्ध थे। अर्थात जो व्यक्ति सैक्स और मांसाहार से मुक्त…

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मैं कैसे कहूं कि मेरे बच्चे नहीं मैं अकेली हूं ?

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मां तो सबको गले लगाती है,सृष्टि के हर जीव-प्राणी हमारे ही बच्चे, मैं कैसे कहूं कि मेरे बच्चे नहीं मैं अकेली हूं?

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अधार्मिक होना ही आज धार्मिक होना है
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अधार्मिक होना ही आधुनिक समाज में धार्मिक होना है

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कुछ लोग #introvert अंतर्मुखी हो जाते हैं क्योंकि वे #name, #fame नहीं चाहते। वे समझ चुके होते हैं कि दुनिया जिन्हें मान-सम्मान दे रही है, या तो वे माफियाओं के गुलाम हैं, या फिर देश व जनता के लुटेरों के सहयोगी। या फिर वैश्य और शूद्रों के लाभ के लिए बलि का बकरा बनो, ताकि…

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Colourful Zombies
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क्या माफियाओं के भक्त और Zombies कभी देशभक्त और धार्मिक हो सकते हैं ?

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पहले मैं मानता था कि यदि मेरे लिखने से एक भी व्यक्ति के जीवन में रूपान्तरण आता है, तो मेरे जीवन का उद्देश्य सफल हो गया। लेकिन फिर समझ में आया कि जब सत्ता और व्यवस्था परिवर्तन के लिए धर्मांतरित होकर इस्लाम, जैन, बौद्ध, सिक्ख, ईसाई, कॉंग्रेस, भाजपा, सपा, बसपा, अंबेडकरवादी, गांधी-वादी, माओवादी, मार्क्सवादी जैसे…

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माफियाओं और लुटेरों के सामने क्यों नतमस्तक हो जाते हैं आस्तिक और धार्मिक ?

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क्या कभी सोचा है कि दुनियाभर के आध्यात्मिक, धार्मिक, राजनैतिक, सामाजिक गुरु और संगठन, संस्थाएं मिलकर भी देश व जनता को लूटने और लुटवाने वालों का सामना क्यों नहीं कर पाते ?

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hosh na rah jaaye
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पड़े हैं भक्तिमार्ग में बिलकुल वैसे, कीचड़ में ध्यानस्थ पड़ा हो सूअर जैसे

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धर्माचार्यों और आध्यात्मिक गुरुओं ने यही सिखाया कि ध्यान करो, पड़े रहो सूअरों की तरह ईश्वर स्वयं आएंगे और अधर्मियों, अत्याचारियों और देश व जनता को लूटने और लुटवाने वालों का नाश करेंगे।

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पूर्व जन्मों के संचित कर्म
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पूर्वजन्मों का संचित कर्म तय करता है कि आपका जीवन कैसा होगा

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सोशल मीडिया पर आध्यात्म मत परोसिए। क्योंकि आध्यात्म कोई परोसने की चीज है ही नहीं। आध्यात्म तो स्वयं को जानने, समझने का माध्यम मात्र है। बहुत से लोग मुझसे अपेक्षा करते हैं कि सोशल मीडिया पर राजनैतिक लेखों की बजाय आध्यात्मिक लेख लिखा करूँ। लेकिन आध्यात्मिक लेख लिखने का लाभ क्या है ? ये जो…

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अपने अपने अहंकार पर सबको बड़ा नाज़ है
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अपने-अपने अहंकार पर सबको बड़ा नाज़ है

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किताबी और पारंपरिक धार्मिकों का अहंकार है कि हम महान हैं क्योंकि हमारे आराध्य, हमारे पूर्वज, हमारे गुरु, हमारे पैगंबर महान थे। डिग्रीधारी नास्तिकों का अहंकार है कि हम महान हैं, क्योंकि वैज्ञानिक नास्तिक हैं, डॉक्टर्स नास्तिक हैं, आविष्कारक नास्तिक हैं। उड़ रहे हैं सभी अपनी अपनी काल्पनिक महानताओं की ऊंचाइयों में बिना यह देखे…

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शाश्वत सत्य जिससे अनभिज्ञ था समाज सदियों तक
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वह शाश्वत सत्य जिससे अनभिज्ञ रहा विश्व सदियों तक

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अब यदि कोई समझता है कि ये सब मिलकर धर्म, आध्यात्म, देश और मानवता की रक्षा कर पाएंगे, तो उससे अधिक बड़ा मूर्ख इस सृष्टि में कोई नहीं।

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Politics Rajnaitik partiyon ko bhi dharm kyon nahi ghoshit kar dete

राजनैतिक पार्टियों को भी धर्म घोषित क्यों नहीं कर देते ?

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कहते हैं डिग्रियाँ बटोरने के लिए स्कूल जाना जरूरी है। फिर स्कूल सर्टिफिकेट जारी करता है कि यह बालक अब डिग्रियाँ बटोरने के योग्य हो गया है इसलिए इसे कॉलेज में दाखिला दिया जा सकता सकता है। फिर बच्चा कॉलेज जाता है और डिग्रियाँ बटोरने का हुनर सीखता है। विक्षिप्त लोगों को विकलांग कहना पाप…

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अनुयायी ना तो देशभक्त बन पाये और ना ही धार्मिक बन पाये 675x356.jpg
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शिष्य और अनुयायी ना तो देशभक्त बन पाये और ना ही धार्मिक बन पाये

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ऐसा क्यों हुआ कि देश से देशभक्त और धार्मिक लोग लुप्त हो रहे हैं और देश व जनता को लूटने और लुटवाने वालों और धर्म व जातियों के ठेकेदारों के चाटुकार और भक्तों का वर्चस्व बढ़ता चला जा रहा है ?

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