ढोंग

भक्तों की भावनायें क्या सरकारी हैं
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क्या परम्पराओं के नाम पर आडम्बर और दिखावा करना पूजा है ?

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जब फार्मा माफियाओं ने आपके मंदिर, तीर्थ बंद करवा दिये थे, तब आपकी भावनाएं क्यों आहत नहीं हुईं थी ? अब मेरे यह लिखने पर कि “मेरे आश्रम में दुर्गापूजा की तैयारी चल रही है। और दुर्गापूजा वे लोग कर रहे हैं, जो प्रायोजित महामारी से आतंकित होकर प्रायोजित सुरक्षा कवच लेकर घरो में दुबक…

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मैं कुछ नहीं लिखता
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जब से होश संभाला है, दुनिया को ढोंग करते हुए ही देखा है

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मैं भी कुछ नहीं लिखता। मेरे भीतर स्वाधीनता संग्राम में शहीद हुए सैंकड़ों क्रांतिकारियों की आत्माएँ बसती हैं। और वे जब रोते हैं देश के बिकाऊ नेताओं, अभिनेताओं, खिलाड़ियों और जनता को देखकर, तब मेरी उँगलियाँ टाइपिंग बोर्ड पर चलने लगती हैं और कोई लेख उभर आता है। मेरे भीतर बसती हैं उन महान चैतन्य…

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पूंजीवादी शैतानी व्यवस्था के धर्म के ठेकेदारों ने मानवता को जहर की घुट्टी पिलाई !

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पूंजीवादी शैतानी व्यवस्था के धर्म के ठेकेदारों ने मानवता को जहर की घुट्टी पिलाई!

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साधना और स्व की पहचान
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साधना और स्व की पहचान

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कहते हैं, यह कई हज़ार वर्ष पुरानी बात है। मैं एक घने जंगल में साधना कर रहा था। न किसी से मिलना, न बोलना, न खाने-पीने की चिंता और न ही कमाने की। बस एक ही जगह स्थिर होकर अपनी साधना में लीन था। साधना क्या थी? फेसबुक पर अपने विचार लिखना। वर्षों इसी तरह…

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