धर्म

रटने और रटाने से क्या लाभ होता है
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गुरु की सीख और अनुयायी की व्याख्या: एक विचारणीय संवाद

भक्त/अनुयायी:“हमारे गुरुजी महान थे, वही एकमात्र गुरु हैं और उनसे पहले ना तो कोई गुरु पैदा हुआ और ना उनके बाद हुआ। हमारे गुरुजी ने जो कहा, जो लिखा वही परमसत्य है, उसके सिवाय कुछ भी सत्य नहीं है।” जागृत व्यक्ति:“आपके गुरु ने जो भी कहा या लिखा, वह किसलिए कहा और लिखा?” भक्त/अनुयायी:“हमारे गुरुजी…

bhikhaari ya gulaam

भीख का कटोरा श्रेष्ठ या गुलामी का पट्टा ?

एक व्यक्ति नौकरी कर रहा है, एक व्यक्ति मजदूरी कर रहा है, एक व्यक्ति व्यवसाय कर रहा है, एक व्यक्ति भीख मांग रहा है और एक व्यक्ति संन्यासी है। उपरोक्त में से कौन सही है और कौन गलत ? यदि देखा जाये तो कोई भी सही नहीं है और कोई भी गलत नहीं है। सभी…

paramparik sannyas aur navsannyas
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पारंपरिक संन्यास और नवसंन्यास में अंतर क्यों है ?

संन्यास, एक ऐसा शब्द है जिसे हम सभी ने सुना है, लेकिन क्या हम सच में इसके अर्थ को समझ पाए हैं? क्या संन्यास का केवल एक ही रूप होता है, या फिर इसे समझने के कई दृष्टिकोण हो सकते हैं? पारंपरिक संन्यास और नवसंन्यास में अंतर समझने के लिए हमें पहले संन्यास की सही…

parivartan hi sansar ka niyam hai
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परिवर्तन ही प्रकृति का नियम है – ठहराव का नहीं

प्रकृति सदैव नवीनता को अपनाती है, जबकि अक्सर धार्मिक लोग पुरातन चीजों में आस्था रखते हैं। प्रकृति का नियम है कि यदि कुछ नया, बेहतर, या उन्नत संभव है तो वह पुराने को मिटाकर नया रचती है। चाहे वह डायनासौर जैसे विशालकाय जीवों का विलुप्त होना हो या मंगल ग्रह को निर्जीव करके पृथ्वी को…

dharmsankat mein chunmun pardesi
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धर्मसंकट में चुनमुन परदेसी

चुनमुन परदेसी अपने सेनापतियों के साथ मंत्रणा कक्ष में बैठे गहन मंत्रणा कर रहे थे। सुबह सुबह ही कौरवों के राजदूत ने महाभारत युद्ध में उनकी ओर से युद्ध में सम्मालित होने का निमंत्रण दिया था। शाम को पांडवों के राजदूत के आने की सूचना मिली थी। तो मंत्रणा यह चल रही थी कि कौरवों…

dharm, dhamm aur aadhyatma
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धर्म, धम्म और आध्यात्म में क्या अंतर है ?

धर्म क्या है ? विभिन्न ग्रन्थों, विद्वानों ने धर्म की अलग-अलग परिभाषाएँ दी हैं। किसी के लिए धर्म कर्तव्य है, तो किसी के लिए धर्म आचरण है, तो किसी के लिए धर्म स्वभाव है, तो किसी के लिए धर्म गुण है। ओशो कहते हैं धर्म विद्रोह है। लेकिन मैं कहता हूँ कि धर्म वह आचरण…