प्रकृति स्वयं अनपढ़ है उसने कोई डिग्री नहीं ली कहीं से
कभी मैं प्रकृति के नियमों और मानव निर्मित नियमों में तुलना करता हूँ, तो मुझे प्रकृति के नियम मानवनिर्मित नियमों से हमेशा श्रेष्ठ व परिपक्व लगे। प्रकृति से गलती बहुत ही कम होती है और नियम उसने एक बार जो तय कर दिया तो सभी स्वतः बिना किसी तनाव व दबाव के न केवल स्वीकारते…