डिग्रियाँ

मजदूर हैं हम मजबूर हैं हम
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क्या करें मजबूर हैं हम ! गर्व से कहो मजदूर हैं हम !!!

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व्यक्ति आजीवन ज्ञान अर्जित करता रहे, तो भी सम्पूर्ण ज्ञान नहीं अर्जित कर सकता। व्यक्ति आजीवन पुस्तकें पढ़ता रहे, तो भी समस्त विश्व की पुस्तकें नहीं पढ़ सकता। व्यक्ति पूरा विश्वभ्रमण कर ले, तो भी विश्व का समस्त ज्ञान अर्जित नहीं कर पाएगा। ओशो ने अपने जीवन में लगभग डेढ़ लाख पुस्तकें पढ़ीं थीं और…

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कागज़ की डिग्रियाँ बटोरने के लिए नहीं हुआ मानव का जन्म

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बचपन में अंडमान निकोबार के एक द्वीप में हम उम्र आदिवासियों के साथ खेलते समय शायद यह कभी नहीं ध्यान में आया होगा कि जीवन का उद्देश्य चंद कागज़ के टुकड़े बटोरना मात्र है। समुद्र के किनारे रेत पर दौड़ना, या मछली पकड़ना या जंगल में हिरण पकड़ने के लिए फंदा लगाना, बस यही जीवन…

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