एकला चलो रे क्योंकि…भीड़ से भरे पंथ अब दलदल बन चुके हैं
पंथ का अर्थ है मार्ग—एक ऐसा रास्ता, जिस पर चलकर हम अपने जीवन की दिशा तय करते हैं। और पंथी अर्थात वह व्यक्ति, जो उस मार्ग पर चलता है। हर कोई किसी न किसी पंथ का अनुयायी होता है—चाहे वह धार्मिक हो, सामाजिक हो, राजनीतिक हो, या फिर विचारधारा से जुड़ा हो। लेकिन क्या हर…