दर्शन

चार्वाक दर्शन पर जी रहा आधुनिक समाज और सरकार

चार्वाक दर्शन और कर्जों में दबा मानव, समाज और देश

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चैतन्य आत्माओं ने हमेशा मानव जाति को चैतन्य बनाने का ही प्रयास किया। लेकिन उनके शिष्यों और अनुयायियों ने मानव जाति को कभी चैतन्य होने ही नहीं दिया। क्योंकि शिष्यों और अनुयायियों की आजीविका भेड़ों और भीड़ पर निर्भर होती है। और फिर चैतन्य आत्माओं के आसपास इकट्ठी होने वाली भीड़ चैतन्य होने के लिए…

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guru jab bhi chunen
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वास्तविकता से दूर ले जाने वाले गुरुओं से सावधान रहें!

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गुरु कई प्रकार के होते हैं। एक गुरु वे होते हैं, जो बच्चे को चलना, उठना, बैठना, खाना, पीना, बोलना सिखाते हैं। दूसरे गुरु वे होते हैं जो लिखना पढ़ना, सर्टिफिकेट और डिग्रियां बटोरना सिखाते हैं। तीसरे गुरु वे होते हैं जो नौकरी करना, बिजनेस करना, पैसे कमाना, हेराफेरी करना, बेईमानी करना, ठगना, झूठ बोलना…

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