चार्वाक दर्शन और कर्जों में दबा मानव, समाज और देश
चैतन्य आत्माओं ने हमेशा मानव जाति को चैतन्य बनाने का ही प्रयास किया। लेकिन उनके शिष्यों और अनुयायियों ने मानव जाति को कभी चैतन्य होने ही नहीं दिया। क्योंकि शिष्यों और अनुयायियों की आजीविका भेड़ों और भीड़ पर निर्भर होती है। और फिर चैतन्य आत्माओं के आसपास इकट्ठी होने वाली भीड़ चैतन्य होने के लिए…