जब से होश संभाला है, दुनिया को ढोंग करते हुए ही देखा है
मैं भी कुछ नहीं लिखता। मेरे भीतर स्वाधीनता संग्राम में शहीद हुए सैंकड़ों क्रांतिकारियों की आत्माएँ बसती हैं। और वे जब रोते हैं देश के बिकाऊ नेताओं, अभिनेताओं, खिलाड़ियों और जनता को देखकर, तब मेरी उँगलियाँ टाइपिंग बोर्ड पर चलने लगती हैं और कोई लेख उभर आता है। मेरे भीतर बसती हैं उन महान चैतन्य…