ईश्वर

क्या खोया और क्या पाया
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वर्षांत चिंतन: बीते वर्ष में क्या खोया और क्या पाया

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आज वर्ष 2024 का अंतिम दिन है। हम अगले वर्ष 2025 में फिर इसी मंच पर मिलेंगे। लेकिन आज का दिन विशेष है। यह दिन हमें ठहरकर चिंतन-मनन करने का अवसर देता है—क्या खोया, क्या पाया और किस दिशा में हमारा जीवन बढ़ रहा है। पिछले वर्ष, यानी 2023 के नवम्बर में, मैंने आश्रम जीवन…

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हाय पैसा

मैं स्वयं को माफियाओं के बिछाए जाल से मुक्त करने के अभियान में व्यस्त हूँ

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लोग पैसा कमाने के लिए दौड़ रहे हैं और मैं भी कभी पैसा कमाने के लिए दौड़ रहा था। फिर एक दिन देखा कि जिनके गोदामों में पैसा सड़ रहा है, जो करोड़ों में नीलाम हो रहे हैं, जो पैसों के लिए ईमान, ज़मीर, जिस्म सब बेच कर स्विस बैंक के गोदामों में पैसा जमा…

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जो ज्ञान आप लोगों के पास है उससे किसे लाभ हो रहा है ?
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जो ज्ञान आप लोगों के पास है उससे किसे लाभ हो रहा है ?

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मैं अब खेती करूंगा यह घोषणा की थी। बहुत से लोगों ने दुनिया भर की सलाह दी, खेती कैसे करना है, कैसे बीज बोना है, कितना पानी देना है, कब फसल काटना है से लेकर बाजार में कैसे बेचना है….तक का सारा ज्ञान उड़ेल दिया। मैंने जब फावड़ा चलाना शुरू किया, तो पंद्रह मिनट में…

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guruon se bhi mukt ho jao
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स्वविवेक का महत्व: गुरुओं से भी मुक्त हो जाओ

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अधिकांश गुरुओं ने कहा कि गीता पढ़ो, बाइबल पढ़ो, वेद, उपनिषद, कुरान पढ़ो। लेकिन कुछ ही गुरुओं ने कहा कि स्वयं को दड़बों से मुक्त करो, स्वयं गुरुओं से भी मुक्त करो, प्रकृति (Nature) को पढ़ो, स्वयं को पढ़ो, स्वयं को जानो। जिन गुरुओं ने स्वयं को गुरुओं से भी मुक्त होने के लिए कहा,…

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क्यों पूजते हैं हम नेताओं अभिनेताओं और गुरुओं को
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ना तो ये लोग प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति पर विश्वास करते हैं ना ही Homeopathy पर

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प्रायोजित #Sponsored फर्जी महामारी का आतंक फैलाकर घर-घर जाकर फर्जी सुरक्षा कवच चेपने के बाद….अब ये कौन सी नयी नौटंकी शुरू कर दिया फार्मा माफियाओं के जरखरीद गुलाम सरकारों ने ? जया किशोरी हो, या मुरारी बापू या ऐसे ही अन्य कोई कथावाचक कुछ भी गलत नहीं कर रहे। जनता के जीवन में इतना दुख…

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ईश्वर ने किसी को नौकर या ग़ुलाम बनाकर नहीं भेजा
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ईश्वर ने किसी को भी नौकर या ग़ुलाम बनाकर नहीं भेजा

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निकम्मा अर्थात जो कमा न रहा हो या जिसके पास कमाई का कोई साधन न हो। उदाहरण: बेरोजगार, अयोग्य, असफल व्यक्ति। मुफ्तखोर अर्थात जो बिना कीमत चुकाए खा रहा हो। उदाहरण: भिखारी, वे साधु-संन्यासी जिनके पास अपना कोई व्यवसाय न हो, जो भीख या दान पर आश्रित हों। इन दो संबोधनों पर यदि ध्यान दें,…

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मार्ग अलग अलग पर मंजिल एक है

चाहे किसी भी पंथ या दड़बे से हों, पहुँचना सभी को एक ही जगह है

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आप हिन्दू हैं या मुस्लिम, आप सिक्ख हैं या ईसाई, आप यहूदी हैं या पारसी, आप भाजपाई हैं या कॉंग्रेसी, आप सपाई हैं या बसपाई, आप वामपंथी हैं या दक्षिणपंथी, आप उदारपंथी हैं या उधारपंथी, आप आनंदमार्गी हैं या परमानन्दमार्गी, आप संघी हैं या मुसंघी, मोदीवादी हैं या अंबेडकरवादी, आप गाँधीवादी हैं या गोडसेवादी, आप…

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मेरा गुरू और ईश्वर सर्वत्र है
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आप लोग पत्थर को ईश्वर मानते हैं और मेरा गुरु और ईश्वर सर्वत्र है

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कल शाम हमारी संस्था के बांग्लादेश स्थित आश्रम के अध्यक्ष स्वामी शंकर चैतन्य जी से चर्चा हो रही थी। उनका कहना था कि गुरु की प्रतिमा की नियमित सेवा, पूजा, अर्चना की जानी चाहिए। क्योंकि हमें जो भी सुख-सुविधाएं मिल रही हैं, उन्हीं के आशीर्वाद से मिल रहीं हैं। वे बता रहे थे कि उनके…

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muftkhor prani
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समस्त ब्रह्माण्ड में मानव ही एकमात्र ऐसा प्राणी है जो मुफ्तखोर नहीं

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समस्त ब्रह्माण्ड में, मानव ही एकमात्र ऐसा प्राणी है, जो मुफ्तखोर, हरामखोर नहीं है। कीमत चुका कर, मेहनत करके खाता है। और मेहनत क्या करता है ? माफियाओं और देश व जनता के लुटेरों की चाकरी और गुलामी। कीमत क्या चुकाता है ? अपना ईमान, जमीर, जिस्म, बुद्धि, विवेक सब गिरवी रखकर कोल्हू का बैल…

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व्यवसाय
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शिक्षा, चिकित्सा, न्याय, धर्म, आस्था, श्रद्धा और विश्वास का व्यवसाय

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क्यों करते हैं लोग अपने गुरु, अपने पंथ, अपने मजहब, अपने धार्मिक ग्रन्थों का प्रचार ? जिन्हें हम धर्मगुरु, धर्माचार्य कहते हैं, संन्यासी कहते हैं क्या वे वास्तव में संन्यासी होते हैं, या केवल मार्केटिंग एक्ज़्क्युटिव होते हैं ? ये जो सड़कों पर हरे रामा हरे कृष्णा या बाबा नाम केवलम या बाबाजी लाएँगे क्रान्ति,…

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समझदार होने का कोई सम्बन्ध नहीं डिग्रीधारी या शास्त्री होने से

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“बहुत पढ़ा हमने फलाने को ढिकाने को।” “बचपन से उनके सानिन्ध्य में रहे हम कई बरसों तक।” सारे शास्त्र, धार्मिक ग्रंथ कंठस्थ हैं हमें, एक-एक आयतें और श्लोक ज़बानी याद है। अरे ऑक्सफोर्ड, कैम्ब्रिज, केलिफोर्निया यूनिवर्सिटी का टॉपर हैं हम ! भला हमसे बड़ा ज्ञानी और कौन होगा इस दुनिया में ? ऐसे बहुत से…

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धर्म और अध्यात्म के नाम पर गुलाम बनाया गया
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माफियाओं के साथ मिलकर लूटो और लुटवाओ

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क्या कभी सोचा है आप लोगों ने कि पूरे विश्व की जनता को धर्म, आध्यात्म और सभ्यता की आढ़ में कैसे कायर, गुलाम और #zombie बनाया गया ? सोचा है कभी कि धर्म और आध्यात्म आज पूजा-पाठ, रोज़ा-नमाज, व्रत-उपवास, कर्मकाण्ड, मंदिर-मस्जिद, गुरुद्वारा, चर्च तक ही सिमट कर क्यों रह गया ? क्योंकि धर्म खतरे में…

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