एकांत

क्या खोया और क्या पाया
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वर्षांत चिंतन: बीते वर्ष में क्या खोया और क्या पाया

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आज वर्ष 2024 का अंतिम दिन है। हम अगले वर्ष 2025 में फिर इसी मंच पर मिलेंगे। लेकिन आज का दिन विशेष है। यह दिन हमें ठहरकर चिंतन-मनन करने का अवसर देता है—क्या खोया, क्या पाया और किस दिशा में हमारा जीवन बढ़ रहा है। पिछले वर्ष, यानी 2023 के नवम्बर में, मैंने आश्रम जीवन…

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सच कहूँ तो अब मुझे ये दुनिया रास नहीं आ रही
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सच कहूँ तो अब मुझे ये दुनिया रास नहीं आ रही

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बाज़ार पर नजर डालिए कभी साक्षी भाव से। सड़कों पर नजर डालिए कभी शांत भाव से। राजनैतिक पार्टियों, सरकारों, संगठनों, संप्रदायों, समाजों पर नजर डालिए शांत भाव से। परिवार की गतिविधिओं पर नजर डालिए और स्वयं के परिचितों, संबंधियों और स्वयं पर नजर डालिए शांत भाव से। आपको ऐसा लगेगा जैसे हर कोई दौड़ रहा…

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