Exploitation of Spirituality

“बहुत टेंशन है….टेंशन तो हम सबको है….और सबकी टेंशन की एक ही वजह है….योनि….”

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“Wheyou rape, beat, maim, mutilate, burn, bury, and terrorize women, you destroy the essential life energy on the planet.” ― Eve Ensler, The Vagina Monologues “No wonder male religious leaders so often say that humans were born in sin—because we were born to female creatures. Only by obeying the rules of the patriarchy can we be reborn…

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धर्म को समझो, मानने का झंझट क्यों?

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आजकल मैं अक्सर यही कहता हूँ कि “धर्म को समझो, माने नहीं!” और फिर लोग मुझे अजीब सी नजरों से घूरते हैं। लेकिन ध्यान रहे, इसका मतलब ये नहीं है कि मैं शास्त्रों का गंगाजल पीकर उनसे ओतप्रोत हो चुका हूँ, या हर ग्रंथ को कंठस्थ करके किसी सच्चे बाबा की तरह उपदेश देने लगा…

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जब वे हमारी मांगे पुरी नहीं कर सकते तो काहे के भगवान ?

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ब्रम्हा, विष्णु और महेश, केवल ये तीन ही भगवान थे किसी ज़माने में। जनसँख्या बढ़ी तो भगवान भी बेचारे व्यस्त हो गए। अब हर किसी की मांगें पूरी करना उनके वश के बाहर हो गया तो लोगों ने भी उन्हें याद करना बंद कर दिया क्योंकि भगवान हम अपने स्वार्थ पूर्ति के लिए ही तो…

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लीलामंदिर आश्रम का जीर्णोद्धार अभियान

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१४ जुलाई २०१३ को आरम्भ हुई उथल-पुथल, अनिश्चितता, व मानसिक तनाव के बाद ४ सितं० २०१३ को आंशिक निश्चिन्तता आई जब स्वामी शिव चैतन्यानंद को आश्रम का अस्थाई सह प्रभारी नियुक्त करने का आश्वासन मिला और …सितं० को उन्हें लिखित रूप से प्रभार सौंप कर आवंछित उपद्रवियों को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। संक्षेप…

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लीलामंदिर आश्रम: जीर्णोद्धार अभियान

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१४ जुलाई २०१३ को आरम्भ हुई उथल-पुथल, अनिश्चितता, व मानसिक तनाव के बाद ४ सितं० २०१३ को आंशिक निश्चिन्तता आई जब स्वामी शिव चैतन्यानंद को आश्रम का अस्थाई सह प्रभारी नियुक्त करने का आश्वासन मिला और …सितं० को उन्हें लिखित रूप से प्रभार सौंप कर आवंछित उपद्रवियों को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया |…

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आदिकालीन कम्बल धर्म का

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मेरे लिए सन्यास का अर्थ है सभी जाति व धर्म के बंधनों से मुक्ति। मेरे लिए सन्यास का अर्थ है निर्णय लेने की स्वतंत्रता। मेरे लिए सन्यास का अर्थ है कि अब न तो मैं पंडित हूँ और न ही क्षत्रिय, वैश्य या शूद्र या आदिवासी। मैं मनुष्य हो गया हूँ सन्यास लेने के साथ…

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लीलामन्दिर आश्रम: एक महान संत के स्वप्न की समाधि

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बाबाधाम के चार स्तम्भ माने जाते हैं, बम-बम बाबा, हरिशरण बाबा, बालानंद महाराज और ठाकुर दयानंद देव जी। ये चारों ही ऐसे संत थे जिन्होंने देवघर को एक नई पहचान दी, वर्ना बाबाधाम केवल तांत्रिक साधना करने वालों और कांवड़ियों में ही लोकप्रिय था। इन महान संतों ने आध्यात्म को नए आयाम दिए। ठाकुर दयानंद…

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अजीब है दुनिया भी
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अजीब है ये दुनिया भी

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हम कुँए में कूदें, पर चोट लगे तो देखने वाला दोषी। हम बिना आपसे पूछे आपकी ज़मीन पर कब्ज़ा करें, पर जब आप हटाना चाहे तो हटाने वाला दोषी… कोई कुछ कहे तो कहने वाला दोषी… भूल जाओ कि हमने क्या किया, लेकिन यह देखो कि हमारे साथ क्या हुआ। दुनिया को बेवकूफ बनाने और…

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